जिस एक्सप्रेस वे के निर्माण का क्रेडिट लेने के लिए सीएम और पूर्व सीएम में होड़ मची थी। जिस एक्सप्रेस वे के निर्माण को समाजवादी पार्टी ने अपनी सरकार के विकास कार्यों के मॉडल के रूप में पेश किया था। जिस एक्सप्रेस वे को पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा था वो ही एक्सप्रेस वे अब धस रहा है। इस एक्सप्रेस वे पर यात्रा करना तो पहले ही खतरनाक था अब और भी जोखिमभरा हो गया है।

एक्सप्रेस वे का शिलान्यास करते समय समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने निर्माण कंपनियों से कहा था कि वो इसका उद्घाटन भी करेंगे। उनकी ये हसरत तो पूरी नहीं हुई। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हुआ तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  बन गए थे। लेकिन समाजवादी पार्टी ने इसका क्रेडिट लेना नहीं छोड़ा। योगी सरकार पर अपनी सरकार की उपलब्धियों को अपना बताने के आरोप भी लगाए। लेकिन लगता है सरकार एक्सप्रेस वे के निर्माण में गुणवत्ता पर नजर रखना भूल गई थी और ठेकेदारों ने अपनी मनमानी करने में कोताही नहीं बरती।

एक्सप्रेस वे के इस हिस्से को आगरा की ही पीएनसी कंपनी ने बनाया था। ये कंपनी आगरा के मेयर की है। कंपनी ने निर्माण में जमकर मनमानी की। नतीजा ये ही कि एक्सप्रेस वे पहली ही बरसात में धसने लगा है। अब इस एक्सप्रेस वे पर यात्रा करने वाले भी इसके निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। साथ ही जांच की मांग भी कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए यमुना एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया था। जिसके बाद अखिलेश यादव ने सीएम रहते हुए 302 किलोमीटर के इस एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया था। इस एक्सप्रेस वे के निर्माण से आगरा और लखनऊ के बीच सफर का समय तो कम हो गया है। लेकिन एक के बाद एक हुए हादसों के बाद इसके ले आउट और निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे। अब सड़क भी धस गई है ऐसे में सवाल उठता है कि इसका क्रेडिट कौन लेगा? क्या घटिया निर्माण कराने वाली कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?

                                                                                                                 एपीएन ब्यूरो

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