तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को अपने मंत्री उदयनिधि स्टालिन का जोरदार बचाव किया। दरअसल उदयनिधि स्टालिन अपनी “सनातन धर्म को खत्म करना चाहिए” टिप्पणी को लेकर विवाद के केंद्र में हैं। एक लंबे बयान में मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि उदयनिधि ने केवल “सनातन द्वारा प्रचारित अमानवीय सिद्धांतों … जो अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करते हैं” के बारे में बात की थी और “किसी भी धर्म या धार्मिक विश्वास को अपमानित करने का उनका कोई इरादा नहीं था” ।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने “कुछ लोगों जो जाति-आधारित भेदभाव का प्रचार करते हैं और अभी भी आध्यात्मिक मंचों पर महिलाओं को अपमानित करते हैं” पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि “भाजपा समर्थक ताकतें दमनकारी सिद्धांतों के खिलाफ उनके रुख को बर्दाश्त करने में असमर्थ हैं” और उनके मंत्री के भाषण के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं।
स्टालिन ने कहा, “यहां तक कि जब हम चंद्रमा पर चंद्रयान लॉन्च कर रहे हैं, तब भी कुछ लोग जातिगत भेदभाव का प्रचार करना जारी रखते हैं… वर्णाश्रम सिद्धांतों के आधार पर सामाजिक स्तरीकरण पर जोर देते हैं और सांप्रदायिक दावों का समर्थन करने के लिए शास्त्रों और अन्य प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हैं… कुछ लोग अभी भी आध्यात्मिक मंचों पर महिलाओं को बदनाम करते हैं, यह तर्क देते हुए कि महिलाओं को काम नहीं करना चाहिए, विधवा महिलाओं को पुनर्विवाह नहीं करना चाहिए।”
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, “वे महिलाओं पर अत्याचार को बढ़ावा देने के लिए ‘सनातन’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं। उदयनिधि ने केवल ऐसी दमनकारी विचारधाराओं के खिलाफ बात की और उन विचारधाराओं पर आधारित प्रथाओं के उन्मूलन का आह्वान किया।” सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की “ट्रोल सेना” पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए, मुख्यमंत्री ने “झूठ” फैलाने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह की भी आलोचना की कि उदयनिधि स्टालिन ने “लोगों के नरसंहार का आह्वान किया” ।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने उन खबरों की भी निंदा की, जिनमें उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक मंदिर के मुख्य पुजारी ने उदयनिधि स्टालिन के सिर पर 10 करोड़ रुपये का इनाम रखा था। स्टालिन ने कहा, “क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई कार्रवाई की…? इसके बजाय, उन्होंने उदयनिधि के खिलाफ मामले दर्ज किए…”
मुख्यमंत्री ने यह कहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा कि इस टिप्पणी को “उचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है”। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मंत्री ने जो कहा उसका पता लगाने के लिए उनके पास संसाधन हैं। सीएम ने कहा, “तो क्या प्रधानमंत्री फैले हुए झूठ से अनजान होकर बोल रहे हैं… या वह जानबूझकर ऐसा करते हैं?”
उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि इंडिया गठबंधन ने प्रधानमंत्री को परेशान कर दिया है। वह डर के कारण ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रस्ताव दे रहे हैं…बीजेपी वास्तव में ‘सनातन’ में भेदभावपूर्ण प्रथाओं के बारे में चिंतित नहीं है।”
मालूम हो कि उदयनिधि ने एक कार्यक्रम में भाषण देकर विवाद पैदा कर दिया। उन्होंने कहा, ”सनातन (धर्म) को मलेरिया, डेंगू और मच्छर की तरह खत्म किया जाना चाहिए।” उदयनिधि ने कहा कि उन्होंने केवल “जातिगत मतभेदों की निंदा की” इसके लिए वे किसी भी कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं; अब उन्हें यूपी में दर्ज एक मामले का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने ऐसी किसी भी बात का खंडन किया है जिसमें उन्होंने “सनातन विचारों वाले लोगों के नरसंहार” का आह्वान किया हो।