बॉलीवुड अभिनेत्री और सांसद हेमामालिनी के साथ कतर एयरवेज की फ्लाइट में अभद्रता, एयरलाइंस ने नहीं लिया कोई एक्शन

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hema malini
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बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री और उत्तर प्रदेश से सांसद हेमा मालिनी के साथ अभद्रता का मामला सामने आया है। मिली जानकारी के मुताबिक ये घटना कतर एयरवेज से यात्रा करते हुए हुई। जब हेमामालिनी यात्रा कर रही थीं तो कुछ यात्रियों ने फोटो लेने के दौरान उनसे अभद्रता की।

दरअसल रात दो बजे के आस पास कुछ लोगों ने फ्लैश जलाते हुए उनके साथ तस्वीरें लेने की कोशिश की। यहां तक कि जब वह रात में सोई हुई थीं, उनके बिखरे हुए कपड़ों के साथ रात में लोगों ने फ़्लैश के साथ उनकी फोटो लेने का प्रयास किया। हैरानी की बात है कि एयरलाइंस के क्रू मेम्बर्स ने रोका तक नहीं, ना ही कोई सुध-बुध ली।

शिकायत के बाद भी एयरलाइंस की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। ऐसे में कई सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या निजता का अधिकार जैसी कोई चीज है कि नहीं। आपको बता दें कि हेमामालिनी बुधवार को मुंबई से दोहा की यात्रा कर रही थी, जिस दौरान ये घटना पेश आई। वे कतर एयरवेज की बिजनेस क्लास से यात्रा कर रही थीं।

भारत में निजता का अधिकार

भारत में निजता का अधिकार भारत के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त और संरक्षित एक मौलिक अधिकार है। 2017 में एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे मौलिक अधिकार के रूप में स्पष्ट रूप से इसकी पुष्टि की गई थी।

यहां भारत में निजता के अधिकार का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

संवैधानिक आधार: भारत के संविधान में निजता के अधिकार का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। हालाँकि, यह संविधान के अनुच्छेद 21 से लिया गया है जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार का आंतरिक हिस्सा है।

ऐतिहासिक निर्णय (2017): सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की सर्वसम्मत पीठ द्वारा निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में पुष्टि की गई थी। इस फैसले में माना गया था कि निजता एक मौलिक अधिकार है।

दायरा: भारत में निजता का अधिकार शरीर संबंधी, व्यक्तिगत स्वायत्तता, राज्य निगरानी से सुरक्षा, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और बहुत कुछ सहित कई पहलुओं को शामिल करता है।

राज्य के हितों के साथ संतुलन: हालाँकि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह पूर्ण नहीं है। इसे सीमित किया जा सकता है यदि राज्य यह बता सके कि वैध उद्देश्य के लिए ऐसी सीमा आवश्यक और आनुपातिक दोनों है।

डिजिटल युग में प्रासंगिकता: गोपनीयता के अधिकार ने डिजिटल युग में महत्व प्राप्त कर लिया है, विशेष रूप से डेटा सुरक्षा, निगरानी और सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं द्वारा व्यक्तिगत जानकारी के संग्रह से संबंधित मुद्दों के संबंध में।

विधायी ढांचा: 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी निजता के अधिकार को भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया। इसके बाद, भारत ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 लागू किया है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा को रेगुलेट करना और व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत डेटा के संबंध में कुछ अधिकार प्रदान करना है।

चुनौतियाँ और विवाद: निजता के अधिकार की मान्यता के बावजूद निगरानी और व्यक्तिगत गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन जैसे मुद्दों पर बहस और कानूनी चुनौतियाँ चल रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: भारत में निजता के अधिकार की मान्यता अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों, विशेष रूप से मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के अनुरूप है।

कुल मिलाकर, भारत में निजता का अधिकार व्यक्तियों की गरिमा और स्वायत्तता की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण तत्व है कि उनकी व्यक्तिगत जानकारी और पसंद राज्य या अन्य संस्थाओं द्वारा अनुचित घुसपैठ से सुरक्षित हैं।

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