Aditya L1: आदित्य-एल1 ने अंतिम कक्षा में किया प्रवेश, ISRO के इतिहास रचने पर PM Modi ने दी बधाई…

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Aditya L1: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने एक और इतिहास रचा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया मिशन ‘आदित्य एल1′ सफलता पूर्वक अंतिम कक्षा में पहुंच गया है। ISRO की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया साइट पर पोस्ट कर बधाई दी है। उन्हें लिखा है कि यह उपलब्धि सबसे जटिल अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता की भलाई के लिये विज्ञान की नयी सीमाओं को पार करते रहेंगे।

Aditya L1: भारत के सूर्य मिशन के लिए आज बड़ा दिन है। आदित्य एल1 आज अपनी अंतिम कक्षा में प्रवेश करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन, आदित्य-एल1, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्चपैड से अपने अंतिम गंतव्य कक्षा में पहुंचने के लिए तैयार है। अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा शुरू करने के चार महीने बाद आदित्य-एल1 शनिवार शाम को अपनी कक्षा में पहुंचेगा। 400 करोड़ की लागत से बनी और करीब 1,500 किलो की सैटेलाइट पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला के रूप में कार्य करेगी।

आदित्य L1 हेलो कक्षा में प्रवेश करेगा?

ISRO अधिकारियों के मुताबिक अंतरिक्ष यान को शनिवार शाम करीब 4 बजे लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) के आसपास एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह आदित्य L1 को इच्छित कक्षा में बांध देगा और इसे सूर्य की ओर बढ़ने से रोक देगा। आदित्य एल1 मिशन का प्रमुख उद्देश्य सूर्य के ऊपरी वायुमंडलीय की गतिशीलता का अध्ययन करना है। सूर्य से कणों की गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करते हुए आदित्य एल1 मौके पर ही कणों और प्लाज्मा के वातावरण का निरीक्षण करेगा।

‘लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा. ‘हेलो’ कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है उन्होंने कहा कि ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर ‘हेलो’ कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है, इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा। इसरो के एक अधिकारी ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘शनिवार शाम लगभग चार बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक ‘हेलो’ कक्षा में पहुंचा देगी अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा”

127 दिनों की यात्रा

2 सितंबर को भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 ने पृथ्वी से सूर्य की ओर एल1 पॉइंट तक 127 दिनों की अपनी यात्रा शुरू की। इसे पीएसएलवी-सी57 के सफल प्रक्षेपण के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया। आदित्य एल1 की कक्षओं को 4 बार सफलता से बढ़ा कर उसे सूर्य की ओर रवाना किया गया था। 7 नवंबर को इसने सोलर फ्लेयर्स की पहली हाई-एनर्जी एक्स-रे झलक कैद की और 1 दिसंबर को आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड में सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) चालू हो गया।

‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1′ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।

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