किसानों के लिए Fertilizer सब्सिडी पर 51,875 करोड़ खर्च करेगी सरकार, जानिए खाद Subsidy पर हर साल कितना खर्च करती है सरकार

सरकार ने 2021-22 में 1.62 लाख करोड़ रुपए की Fertilizer सब्सिडी दी थी. पिछले पांच महीनों में उर्वरकों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में सरकार पर उर्वरक सब्सिडी का अनुमानित बोझ बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में फसलों के रबी सीजन 2022-23 (01 अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक) के दौरान नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K), सल्फर (S) जैसे विभिन्न पोषक तत्वों से युक्त फॉस्फेट और पोटास (पी एंड के) उर्वरकों (Fertilizer) के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy) की प्रति किलोग्राम दरों से सम्बन्धित उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

मंत्रिमंडल ने प्रति किलोग्राम दरों के लिए दी गयी मंजूरी –

           वर्षरुपये प्रति किलोग्राम
नाइट्रोजनफास्फोरसपोटाशसल्फर
रबी, 2022-23 (01 अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक)98.0266.9323.656.12

कितना होगा खर्च

पोषक तत्व आधारित सब्सिडी जो कि रबी सीजन 2022 (01 अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक) के लिए दी गई है पर केंद्र सरकार 51,875 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसमें माल ढुलाई सब्सिडी के माध्यम से स्वदेशी उर्वरक (SSP) का समर्थन भी शामिल है.

कितना होगा फायदा

इस Fertilizer सब्सिडी से रबी 2022-23 के दौरान सभी फॉस्फेट और पोटास उर्वरक रियायती / किफायती (Subsidized / Affordable) कीमतों पर किसानों को आसानी से उपलब्ध होंगे और इससे कृषि क्षेत्र को काफी सहायता मिलेगी. इस समय यूक्रेन ओर रूस के मध्य जारी युद्ध के कारण उर्वरकों और कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता के कारण हुई मूल्य-वृद्धि को मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है.

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क्या है योजना?

इस समय केंद्र सरकार उर्वरक निर्माताओं / आयातकों के माध्यम से किसानों को रियायती मूल्य (Subsidized Rates) पर फॉस्फेट और पोटास उर्वरकों के लिए यूरिया और 25 ग्रेड उर्वरक उपलब्ध करा रही है. फॉस्फेट और पोटास उर्वरकों पर सब्सिडी, एनबीएस (Nutrition Based Subsidy) योजना द्वारा 01 अप्रैल 2010 से दी जा रही है.

वहीं उर्वरकों और कच्चे माल यानी यूरिया (UREA), डीएपी (DAP), एमओपी (MOP) और सल्फर (Sulpher) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिकार्ड पार कर रही कीमतों में भारी वृद्धि को देखते हुए, सरकार ने डीएपी सहित फॉस्फेट और पोटास उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाकर ऊंची कीमतों को भार को अपने स्तर पर वहन करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार उर्वरक कंपनियों को स्वीकृत दरों के अनुसार सब्सिडी जारी की जाएगी, ताकि वे किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध करा सकें.

कितनी सब्सिडी देती है सरकार

दो साल पहले तक भारत सरकार द्वार दी जाने वाली Fertilizerसब्सिडी 75-80 हजार करोड़ रुपए हुआ करती थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल के दाम में वृद्धि की वजह से उर्वरकों का वास्तवित दाम काफी बढ़ गया है. जिससे किसानों के लिए खेती करना काफी महंगा हो जाएगा. इसलिए सरकार लगातार सब्सिडी बढ़ा रही है.

2022-23 में 2.25 लाख करोड़ तक सब्सिडी पहुंचने का अनुमान

सरकार ने पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 1.62 लाख करोड़ रुपए की उर्वरक सब्सिडी दी थी. पिछले पांच महीनों में उर्वरकों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में सरकार पर उर्वरक सब्सिडी का अनुमानित बोझ बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.

यूरिया पर 55 फीसदी सब्सिडी देती है सरकार

केंद्र सरकार इस समय यूरिया के खुदरा मूल्य के 80 फीसदी की सब्सिडी देती है. इसी तरह डीएपी की कीमत का 65 फीसदी, एनपीके की कीमत का 55 फीसदी और पोटाश की कीमत का 31 फीसदी सरकार सब्सिडी के तौर पर दे रही है. इसके अलावा उर्वरकों की ढुलाई पर भी सालाना 6 से लेकर 9 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाते है.

भारत में उर्वरकों का उपयोग

5 अगस्त 2022 को रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि पिछले पांच वर्षों में, चार उर्वरकों – यूरिया, एमओपी (पोटाश का म्यूरेट), डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) की आवश्यकता 2017-18 के 528.86 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 21 फीसदी बढ़कर 2021-22 में 640.27 लाख मीट्रिक टन (LMT) पर पहुंच गई है.

डीएपी की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी ओर यह 2017-18 में 98.77 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 25.44 फीसदी बढ़कर 2021-22 में 123.9 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई.

भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रासायनिक उर्वरक यूरिया है, जिसने 2017-18 में 298 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 19.64 फीसदी बढ़कर 2021-22 में 356.53 हो गई.

भारत में उर्वरक का महत्व

कृषि एवं इससे संबद्धिंत क्षेत्र भारत में आय के सबसे बड़े स्रोत है. भारत का कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में 19.9 फीसदी का योगदान देता है, ओर भारत की 54.6 फीसदी जनसंख्या कृषि गतिविधियों से जुड़ी हुई है.

Indian agriculture and Urea 1
Fertilizer

दुनिया के अन्य देशों (प्राकृतिक खेती करने वालों को छोड़कर) की तरह भारत का कृषि क्षेत्र काफी हद तक उर्वरक उद्योग पर निर्भर करता है, जो फसलों के उत्पादन के लिये आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण कच्चे माल का निर्माण करता है.

भारत में खाद को लेकर की गई पहल

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना ‘एक राष्ट्र-एक उर्वरक’ (One Nation One Fertiliser) की शुरुआत की और इसके तहत ‘भारत यूरिया बैग्‍स’ भी पेश किए. योजना के बाद से कंपनियों को एक ही ब्रांड नाम – भारत के तहत उर्वरकों के बेचना पड़ेगा.

इसके अलावा सरकार पीएम प्रणाम (PM – Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana (PM – PRANAM) योजना के तहत उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी की बचत करने वाले राज्यों को 50 फीसदी अनुदान के रूप में दे रही है. इसमें से, राज्य को 70 फीसदी नई संपत्ति बनाने पर उपयोग करने की आवश्यकता होगी जिससे जिला स्तर, ब्लॉक और गांवों में उर्वरकों और उर्वरक उत्पादन इकाइयों के वैकल्पिक तरीकों को तकनीकी रुप से अपनाने को बढ़ावा मिले.

वहीं, राज्य शेष 30 बची हुई फीसदी राशि का उपयोग जागरूकता पैदा करने और उर्वरक के उपयोग को कम करने में मदद कर रहे किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को पुरस्कृत करने और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकते हैं.

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