“प्रधानमंत्री मोदी नहीं लाना चाहते थे 2000 के नोट लेकिन…” PM के पूर्व प्रधान सचिव ने बताया पूरा प्लान

इसलिए 2018 के बाद नहीं छापे गए 2000 रुपये के नोट

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2000 Rupees Note:PM Modi नहीं लाना चाहते थे 2000 के नोट
2000 Rupees Note:PM Modi नहीं लाना चाहते थे 2000 के नोट

2000 Rupees Note:भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का फैसला किया है। 23 मई से 30 सितंबर 2023 तक लोग 2 हजार के नोट को बैंक से बदल सकते हैं। वहीं, इस बीच प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने एक बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि साल 2016 में नोटबंदी हुई थी, तब आरबीआई ने 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे। उस समय 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कभी भी 2000 रुपये के नोट को जारी करने के पक्ष में नहीं थे। उन्हें पता था कि 2000 रुपये के नोट से लेन-देन कम लेकिन जामाखोरी अधिक होगी। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि इसे सीमित समय के लिए लाया जा रहा है तब उन्होंने अपनी सहमती दी थी।

2000 Rupees Note:PM Modi के साथ नृपेंद्र मिश्रा(फाइल फोटो)
2000 Rupees Note:PM Modi के साथ नृपेंद्र मिश्रा(फाइल फोटो)

2000 Rupees Note:प्रधानमंत्री नहीं थे उत्साहित- नृपेंद्र मिश्रा

नृपेंद्र मिश्रा ने नोटबंदी के दौरान 2000 रुपये के नोट लाने की पूरी प्लानिंग बता दी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पीएम मोदी इस फैसले से उत्साहित नहीं थे।
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा,”जब मैं प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव था तब ही नोटबंदी का फैसला लिया गया था।” उन्होंने आगे बताया कि उस समय 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने थे और उनके बदलने की व्यवस्था की जानी थी। जाहिर था कि इसके लिए 500 और 1000 रुपये के नए नोट लाने होते और नए नोटों की व्यवस्था प्रिंटिंग के माध्यम से की जानी थी। प्रिंटिंग का काम रिजर्व बैंक करता था।
उन्होंने बताया कि उस समय देखा गया कि जिस संख्या में पुराने नोट आएंगे और नए नोट जारी किए जाएंगे उसके अनुसार प्रिंटिंग की सुविधा और क्षमता नहीं थी। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि इसलिए विकल्प के रूप में 2000 रुपये के नए नोट लाए गए थे।

नृपेंद्र मिश्रा ने आगे बताया कि 2000 रुपये छापने व जारी करने को लेकर पीएम मोदी न ही राजी थे और न ही उत्साहित थे। उन्होंने बताया,”पीएम मोदी का मन था कि अगर हम 1000 रुपये के नोट बंद कर रहे हैं और उसकी जगह 2000 रुपये के नोट ला रहे हैं तो लोग कैसे समझेंगे कि ये काले धन को कम करने या उसे समाप्त करने का प्रयास है। क्योंकि एक बड़े नोट के आने से लोगों के पास इसे जमा करना आसान हो जाएगा। इसलिए वो(पीएम) इसपर सहमत नहीं थे।”

इसलिए 2018 के बाद नहीं छापे गए 2000 रुपये के नोट
नृपेंद्र मिश्रा ने आगे बताया कि जब पीएम मोदी के सामने करेंसी छापने वाली कंपनियों की क्षमता बताई गई तो वे नहीं चाहते थे कि नोटों को बाहर से छपवाया जाए। इसलिए एक ही विकल्प बचा था कि सीमित समय के लिए 2000 रुपये के नोट छापने होंगे। इसलिए जब पीएम मोदी को बताया गया कि इसे सीमित समय के लिए लाया जा रहा है तब उन्होंने अपनी सहमती दी थी।
उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के मन में ये बात साफ थी कि सही समय पर 2000 रुपये के नोट वापस ले लिया जाएगा इसलिए 2018 के बाद से 2000 रुपये के नोट नहीं छापे गए। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि पीएम मोदी के विचारों से हमेशा यह लगता रहा कि वे 2000 रुपये के नोट को गरीबों का नोट नहीं समझते थे।

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