कौन हैं ‘एक्सीडेंटल सीएम’ कहलाने वाले JaiRam Thakur? आज हैं हिमाचल की राजनीति के ‘किंग’

जयराम के नेतृत्व में, सत्तारूढ़ भाजपा को कई उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा है, यहां तक ​​​​कि उनका कार्यकाल भी मुख्य सचिवों की नियुक्ति से लेकर हाल ही में हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) के अध्यक्ष की नियुक्ति तक के विभिन्न विवादों को लेकर सवालों के घेरे में रहा है।

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Jai Ram Thakur
Jai Ram Thakur

12 नवंबर को होने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करना आज से शुरू होकर 25 अक्टूबर को समाप्त होगा। इस बीच, 22, 23 और 24 अक्टूबर को तीन छुट्टियां हैं। राजनीतिक दलों के पास मुश्किल से चार दिन बचे हैं, लेकिन दो प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं किए हैं।

जानकारी के मुताबिक, 2 दिन से दिल्ली में डटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कल अपना चुनाव टिकट लेकर ही हिमाचल लौटेंगे। राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कल जंजैहली में एक विशाल जनसभा होगी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने नया मोर्चा खोलते हुए दूसरे दलों से भाजपा में आये नेताओं को टिकट देने का विरोध किया है। जिससे अनुराग ठाकुर और जयराम ठाकुर में चल रही कशमकश ने नया रूप ले लिया है।

बता दें कि भाजपा हाईकमान ने बेशक अभी तक टिकटों का ऐलान नहीं किया हो मगर हिमाचल के CM जयराम ठाकुर ने अपने नामांकन का शुभ मुहूर्त निकलवा लिया है। मंडी जिले की सराज सीट से विधायक जयराम ठाकुर इसी सीट से 19 अक्टूबर को सुबह 10 बजे अपना नॉमिनेशन फाइल करेंगे।

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Jai Ram Thakur कौन हैं?

57 वर्षीय ठाकुर एक अनुभवी राजनेता हैं, जिन्होंने 2008 से 2012 तक धूमल की सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री के रूप में कार्य किया। वह 2006 से 2009 तक भाजपा हिमाचल प्रदेश इकाई के प्रमुख भी थे। उन्हें जानने वाले भाजपा सदस्य उन्हें एक के रूप में वर्णित करते हैं। मिलनसार राजनेता जो पंख नहीं फड़फड़ाने और सभी को साथ ले जाने की कोशिश करता है। उनकी बहुत ही विनम्र पृष्ठभूमि है।

ठाकुर के परिवार में कौन-कौन हैं?

जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी (Mandi) जिले की थुनाग तहसील के तांदी गांव में राजपूत परिवार में हुआ है। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गांव से ही प्राप्त की। बाद में, मंडी के बल्लभ कॉलेज से उन्होंने स्तानक तक की पढ़ाई पूरी की। छात्र जीवन में ही उन्होंने एबीवीपी का दामन थाम लिया और छात्र राजनीति में उनके कैरियर की शुरुआत हो गई। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता है। उनके परिवार में तीन भाई और दो बहनें हैं। पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे। जयराम (CM JaiRam Thakur) तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। साल 1995 में जयराम ठाकुर ने जयपुर की डॉक्टर साधना सिंह से शादी की। जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं। प्रदेश की राजनीति में उन्होंने 1993 एंट्री की और पहली बार वह सिराज विधानसभा से चुनाव लड़े।

28 की उम्र में पहली बार लड़े चुनाव

एक मृदुभाषी, लो प्रोफाइल, ठाकुर सिर्फ 28 साल के थे, जब उन्होंने पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश के चाचियोट से राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह 800 वोटों के मामूली अंतर से हार गए लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं का ध्यान आकर्षित करने में वो पूरी तरह से कामयाब रहे। 1998 में, ठाकुर ने उसी सीट से चुनाव लड़ा, जीता, और फिर मंडी जिले में चाचिओट को अपने गढ़ में परिवर्तित कर दिया। यहां से वो लगातार 5 बार चुनाव जीते।

प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हारने के बाद बने मुख्यमंत्री

2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मौजूदा कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया, लेकिन पार्टी के नेता और सीएम फेस प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। जयराम को भाजपा आलाकमान ने उनकी पार्टी के काम, उनकी कथित सार्वजनिक लोकप्रियता और आरएसएस के साथ उनके जुड़ाव को देखते हुए सीएम के रूप में चुना था। उन्हें “एक्सीडेंटल सीएम” के रूप में भी करार दिया गया था।

जयराम के नेतृत्व में, सत्तारूढ़ भाजपा को कई उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा है, यहां तक ​​​​कि उनका कार्यकाल भी मुख्य सचिवों की नियुक्ति से लेकर हाल ही में हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) के अध्यक्ष की नियुक्ति तक के विभिन्न विवादों को लेकर सवालों के घेरे में रहा है।

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