टमाटर के बाद अब चावल की बारी, कीमतों में उछाल को देखते हुए सरकार Rice Export कर सकती है बैन

Rice Export Ban: घरेलू बाजार में पिछले दो हफ्तों मे चावल की कीमतों में 20 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। दरअसल चावल का जिन राज्यों में उत्पादन होता है वहां असामान्य बारिश देखने को मिल रही है।

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Rice Export Ban: रोजमर्रा की जिंदगी में खानेपीने की वस्‍तुओं की दरें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं।वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की वजह से बीते जून में खुदरा महंगाई दर में चार महीने की गिरावट के बाद फिर से उछाल देखने को मिला।आंकड़ों के सामने आने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। हाल के दिनों में चावल की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है।यही वजह है कि अब केंद्र सरकार चावल के निर्यात पर बैन लगाने पर विचार कर रही है।

हाल में ब्लूमबर्ग की जारी एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार सभी प्रकार के गैर- बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाने की योजना पर विचार कर रही है। सरकार यदि गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाती है तो कुल 80 फीसदी चावल का निर्यात इससे सीधेतौर पर प्रभावित होगा।सरकार के इस फैसले के चलते घरेलू बाजार में तो कीमतों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगेगा लेकिन दुनियाभर में चावल की कीमतों में अच्‍छा-खासा उछाल देखने को मिल सकता है।

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Rice Export Ban: चावल की कीमतों में 20 फीसदी का उछाल

Rice Export Ban: गेंहू और चीनी के एक्सपोर्ट पर पहले से ही बैन लगा हुआ है। घरेलू बाजार में पिछले दो हफ्तों मे चावल की कीमतों में 20 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। दरअसल चावल का जिन राज्यों में उत्पादन होता है वहां असामान्य बारिश देखने को मिल रही है। कहीं बारिश कम तो कहीं ज्यादा हो रही है। ऐसे में धान की फसल के प्रभावित होने की पूरी आशंका है। भविष्य में कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। ये चुनावी वर्ष है इसलिए सरकार कोई जोखिम लेने से बच रही है।

मालूम हो कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है। जोकि सबसे सस्ती कीमत पर चावल की सप्‍लाई भी करता है। कुल ग्लोबल एक्सपोर्ट में उसकी 40 फीसदी हिस्सेदारी है। साल 2022 में भारत ने कुल 56 मिलियन टन चावल का एक्सपोर्ट किया था।एमएसपी घोषित होने के बाद भारत में कीमतें बढ़ी तो दूसरे सप्लायरों ने भी कीमतें बढ़ाना शुरू कर दीं।

Rice Export Ban: पिछले साल भी लगवाई थी रोक

Rice Export Ban: पिछले वर्ष भी सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाई थी।इसके साथ ही व्हाइट और ब्राउन राइस के निर्यात पर 20 फीसदी ड्यूटी भी लगाई गई थी।जलवायु परिवर्तन अल नीनो के असर के डर से चावल के उत्पादन में कमी की आशंका जताई जा रही है। जिसके चलते चावल की कीमतें बढ़ने अभी से बढ़ने लगी हैं।

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