Karnataka Elections: टिकट नहीं मिला तो पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने दिया इस्तीफा, क्या दक्षिण के इकलौते किले को बचाने में कामयाब हो पाएगी BJP?

राज्य में दूसरे नंबर पर आता है वोक्कालिगा समुदाय। इसकी आबादी करीब 12 फीसदी है। इस समुदाय के सबसे बड़े नेता एचडी देवगौड़ा हैं, जो जेडीएस से हैं। वोक्कालिगा समुदाय का कर्नाटक की 50-55 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है।

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टिकट नहीं मिला तो पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने दिया इस्तीफा
टिकट नहीं मिला तो पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने दिया इस्तीफा

Karnataka Elections: भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 189 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। राज्य में 10 मई को चुनाव होने वाले हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कर्नाटक के प्रभारी भाजपा महासचिव अरुण सिंह के साथ यह घोषणा की। पार्टी 52 नए चेहरों और आठ महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही है। बीजेपी ने जिन पुराने विधायकों के टिकट काटे हैं, उनके समर्थक नाराज हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी दक्षिण के एकलौते किले को बचा पाएगी?

डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने क्या कहा?

इस बीच कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। लक्ष्मण को अथानी से टिकट नहीं दिया गया जिसके बाद वो पार्टी से नाराज चल रहे थे। बुधवार को भाजपा से टिकट गंवाने के बाद उन्होंने विधान परिषद सदस्य और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दक्षिणी राज्य में 10 मई को मतदान होना है।

लक्ष्मण सावदी कर्नाटक चुनाव के लिए भाजपा की 189 उम्मीदवारों की पहली सूची में जगह बनाने में विफल रहे। लक्ष्मण पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के वफादार और एक शक्तिशाली लिंगायत नेता हैं। 2018 के चुनाव में वे कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए थे। वे कहते हैं, “मैंने अपना फैसला कर लिया है। मैं भीख का कटोरा लेकर घूमने वालों में से नहीं हूं। मैं एक स्वाभिमानी राजनेता हूं। मैं किसी के बहकावे में आकर काम नहीं कर रहा हूं।” हालांकि, भाजपा ने टिकट बांटते समय जातीय समीकरण को ध्यान में रखा है। सभी बड़े समुदाय से नए पुराने चेहरे को टिकट दिया गया है।

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पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार भी भाजपा से नाराज

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने मंगलवार को कहा कि उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने 10 मई को होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है, जिस पर उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को फैसले से अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। उनसे पहले एक अन्य वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी।

बता दें कि भाजपा की पहली लिस्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को उनकी पारंपरिक शिगगांव सीट से मैदान में उतारा गयटा है, वहीं पूर्व सीएम बी एस येदियुरप्पा के बेटे बी वाई विजयेंद्र अपने पिता के शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि चिक्कमगलुरु सीट से चुनाव लड़ेंगे और राज्य के मंत्री आर अशोक कनकपुरा में राज्य कांग्रेस प्रमुख डी के शिवकुमार के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। कर्नाटक के आवास मंत्री वी सोमन्ना वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

कर्नाटक का जातीय-राजनीतिक समीकरण?

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का राजनीतिक वर्चस्व अधिक है। इसकी जनसंख्या करीब 17 फीसदी है। फिलहाल, लिंगायत के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा हैं, जो बीजेपी से हैं। इस समुदाय का राज्य के करीब 75-80 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। बता दें कि लिंगायत समुदाय के कुल 4 सौ से ज्यादा मठ हैं। यह समुदाय एकेश्वर हैं और केवर भगवान शिव की पूजा करते हैं।

राज्य में दूसरे नंबर पर आता है वोक्कालिगा समुदाय। इसकी आबादी करीब 12 फीसदी है। इस समुदाय के सबसे बड़े नेता एचडी देवगौड़ा हैं, जो जेडीएस से हैं। वोक्कालिगा समुदाय का कर्नाटक की 50-55 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। वोक्कालिगा समुदाय के कुल 150 से ज्यादा मठ हैं। फिर कुरुबा समुदाय आता है, जिसकी आबादी 8% है। कुरुबा कर्नाटक में लिंगायत, वोक्कालिगा और मुसलमानों के बाद चौथी सबसे बड़ी जाति है।

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