सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रमोशन में आरक्षण देने के प्रस्ताव पर मोदी सरकार आगे बढ़ने जा रही है। हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग ने अपनी एक रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपी। मोदी सरकार का ये दांव ऐसे वक्त में आया है जब भगवा खेमा ये मान रही है कि यूपी में उसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोट जमकर मिले थे। लेकिन सवाल अब ये भी उठने लगा है कि क्या आरक्षण की ये धुन छेड़ने की मुख्य वजह 2019 का लोकसभा चुनाव है। क्या मोदी सरकार के इस दांव से उन राजनीतिक दलों का भविष्य खतरें में है जो दलित वोट बैंक पर अपना एकाधिकार मान कर चलते हैं।

शुक्रवार 5 मई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज), बालेश्वर त्यागी ( नेता बीजेपी), कमलाकर त्रिपाठी ( प्रवक्ता यूपी कांग्रेस), जस्टिस आर बी मिश्रा ( पूर्व कार्यवाहक न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश) शामिल थे।

जस्टिस आर बी मिश्रा ने कहा कि अनुच्छेद 15 में ऐसी व्यवस्था की गई है कि किसी के साथ जात-पात और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नही किया जायेगा । उसमें ये अनुच्छेद 15 (3) के अंतर्गत की गई है जो कि सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अगर पिछड़ा है तो कोई स्पेशल प्रावधान बनाया जा सकता है। अनुच्छेद 16 में व्यवस्था की गई की सबको समान अधिकार नौकरी में और रोजगार में मिलेगा। उसमें संविधान 16 (4) की व्याख्या के अनुरुप ये था कि नौकरी में आरक्षण तो मिलेगा लेकिन शुरु से ही संविधान निर्माता ने बनाया था कि केवल नियुक्ति में मिलेगा प्रमोशन में नही मिलेगा।

कमलाकर त्रिपाठी ने पूरी तरह से राजनीतिक से प्रभावित कदम है। आज की तारीख में स्थितियां बदल चुकी है। आज के तारीख में यूपी से लेकर राष्ट्रपति तक दलित समाज के लोग रह चुके हैं। यूपी में चार-चार बार सीएम दलित समाज की महिला हर चुकी है। आज की तारीख में आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए। अगर प्रमोशन में आरक्षण दे रहे हैं तो यह एक राजनैतिक नीति है।

बालेश्वर त्यागी ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण पहली बार नही होने जा रहा है। ये पहले से था बीच में एक समय सीमा थी जिसमें बढ़ाया नही गया इसलिए दोबारा इस पर पुर्नविचार किया जा रहा है। ये अपनी जगह ठीक है कि आरक्षण के कारण आज इस पुर्नविचार या इसकी आवश्यकताओं पर बहस की आवश्यकता रही होगी। बिहार चुनाव के समय आरएसएस के लोगों ने कहा था कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए तो इन्होने धरती आकाश एक कर दिया था।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि आरक्षण में प्रमोशन के इस दांव का सिर्फ 2019 के चुनाव को लेकर ही नही मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों के चुनावों को लेकर चला गया है। यूपी में प्रमोशन में आरक्षण के इस मुद्दे को लेकर हम बहुत कुछ देख चुके हैं और इस आरक्षण के जरिए ये कहा जाये कि इससे सामाजिक समरसता बढ़ती है तो यूपी में इसका जो परिणाम हुआ है वो ये है कि अनेक विभागों में प्रमोशन में आरक्षण बचाओं और प्रमोशन में आरक्षण हटाओं को लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों के संगठन बने है और एक दूसरे के सामने खड़े है। उससे उनके व्यक्तिगत हितों पर तो प्रभाव पड़ता ही है उनके कार्यक्षमता पर भी असर पड़ता है।

इसके दूसरे हिस्से में सपा में दो फाड़ के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस विषय पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू, बालेश्वर त्यागी, कमलाकर त्रिपाठी, व विनय राय (मैनेजिंग एडिटर एपीएन न्यूज) शामिल थे।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की करारी हार के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी टूटने के कगार पर पहुंच गई है। शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा नाम से नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस नई पार्टी के अध्यक्ष सपा के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव होंगे। इसके बाद अब ये बात लगभग तय मानी जा रही है कि महीनों से चल रहा आपसी विवाद अब शायद अंजाम तक पहुंचने वाला है। समाजवादी पार्टी में अब सबकुछ ठीक हो जायेगा ऐसा मान कर चल रहे कार्यकर्ताओं के लिए ये बुरी खबर  है।

विनय राय ने कहा कि अभी जिस तरीके से मोर्चा बनाने की बात की गई तो देखना ये होगा कि ये कोई अकेले का लिया गया फैसला नही है। मुलायम सिंह यादव के जो बहनोई हैं उनके घर पर मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव मौजूद थे। तीनों लोगों के साथ पहले बातचीत हुई उसके बाद शिवपाल सिंह यादव घर से बाहर निकले हैं और मीडिया से मुखातिब होते हुए  उन्होने यह बात कही है। जहां तक मोर्चे की बात है तो पहले देखना ये होगा कि क्या अखिलेश उनको समाजवादी पार्टी की बागडोर सौंपते हैं या जो नया मोर्चा बनेगा उसके लिए कोई एक नया दल बनाकर मोर्चा में सम्मिलित होगें। इसमें कई विकल्प है अभी।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि ये परिस्थितियों का तकाजा है और समाजवादी पार्टी में चुनाव से पहले से जिस प्रकार का घटनाक्रम चल रहा था उसकी एक तरह से परिनीति है। ये बात अलग है आज की तारीख में जिसको सपा कहा जाता है उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं। मुलायम सिंह यादव को तथाकथित तौर पर संरक्षक की भूमिका दी गई है लेकिन समाजवादी पार्टी के किसी भी सम्मेलन या बैठक में मुलायम सिंह यादव आमंत्रित भी नही होते। एक बात बिल्कुल साफ है कि अखिलेश वाली समाजवादी पार्टी से मुलायम का कोई रिश्ता नही रह गया।

कमलाकर त्रिपाठी ने कहा कि जो चीज अभी तक हवा में है और उनके यहां ही अभी कोई खास तस्वीर नही बनी है तो हमारा रुख क्या रहेगा अभी कहना उचित नही है। अखिलेश के साथ हमारा गठबंधन है। राहुल और अखिलेश के बीच अच्छा मेल है। एक बात तो तय है कि आपस में क्या पक रहा है दूसरी बात है लेकिन अभी तक नई पार्टी की घोषणा उन्होने नही किया है।

बालेश्वर त्यागी ने कहा कि ये वास्तविक परिनीति है जो जातियों के आधार पर दल बनाते हैं जो लूट खसोट से सत्ता हासिल करते हैं। चेतना का एक झोका आते ही धम्म हो जाते हैं। शय और मात का खेल चल रहा है। इसमें ना जनता का हित है ना प्रदेश का हित है। ये अपने पारिवारिक झगड़े हैं। इससे देश और प्रदेश की राजनीति प्रभावित होगी मुझे ऐसा नही लगता।

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