आतंकवाद और अलगाववाद से निपटने के लिए सोमवार को जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पीएम मोदी से चर्चा के लिए नई दिल्ली पहुंची। चर्चा के दौरान सीएम मुफ्ती ने घाटी के बहाली को लेकर पीएम से कहा कि पत्थरबाजी और गोलीबारी के बीच कश्मीरियों से बातचीत संभव नहीं है। हमें घाटी में पुन: शांति कायम करनी है तो सर्वप्रथम हमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों को दोहराना होगा। साथ ही कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों और पाकिस्तान से बातचीत कर कश्मीर के संकट दूर करना होगा।
उधर, उत्तर प्रदेश में मिली जीत के बाद बीजेपी अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए अभी से 2019 चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं की सेना तैयार करने में जुट गयी है। बता दें कि आज आरएसएस बीजेपी और यूपी सरकार के बीच होने वाली बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। खबर को मुताबिक बैठक में सरकार की तरफ से खुद सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य होंगे तो संघ की तरफ से दत्तात्रेय हसबोले, कृष्ण गोपाल और क्षेत्रीय प्रचारक, प्रान्त प्रचारक रहेंगे जबकि बीजेपी संगठन की तरफ से ओम माथुर, रामलाल, सुनील बंसल, शिव प्रकाश के शामिल होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यूपी में होने वाले जून जूलाई में निकाय चुनाव होने हैं। जिसके लिए इस बैठक में चुनावी रणनीति पर बात होने के साथ योगी सरकार के बेलगाम विधायकों पर लगाम भी कसा जा सकता है।
एपीएन के खास शो मुद्दा में “मुफ्ती-मोदी की मुलाकात से क्या सुधरेंगे कश्मीर के हालात? और 2019 के चुनाव के लिए बीजेपी ने कसी कमर” जैसे पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एपीएन के स्टूडियों में तमाम विशेषज्ञों को बुलाया गया। जिसमें गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक,APN), ओंकारनाथ सिंह (नेता कांग्रेस), नरेंद्र सिंह राणा (नेता बीजेपी), प्रफुल बख्शी (रक्षा विशेषज्ञ) व डॉ सौरभ मालवीय (संघ विचारक) शामिल रहे। शो का संचलन एंकर हिमांश दीक्षित ने किया।
प्रफुल बख्शी ने मेहबूबा मुफ्ती पर तंज कसते हुए कहा,’घाटी में एक तरफ हमारे जवानों को मारा जा रहा है और आप अब भी अलगाववादियों से वार्ता करने को कह रही हैं। वार्ता छोड़िये और अब अपने उत्तरदाईत्व को निभाए।’ लॉ एंड ऑडर कहना आसान होता है लेकिन करना मुश्किल क्योंकि इसके लिए एक पॉलिसी की जरुरत होती है। भारत सरकार कश्मीर को कोई विशेष राज्य न समझकर अन्य राज्यों कि तरह व्यवहार करें।
गोविंद पंत राजू ने कहा कि कश्मीर संधि होने के बाद सरकार ने इस मामले को गंभीर रुप से नहीं लिया। आलम यह है कि आज कश्मीरी मुद्दा एक नासूर की तरह कश्मीर में फैलता चला जा रहा हैं। कश्मीरी युवा बिना किसी लक्ष्य और उद्देश्य के सड़कों पर उतरकर पत्थरबाजी कर रहे हैं। जिनका इस्तेमाल आतंकी और आलगाववादी अपने ढ़ाल के रुप में कर रहे हैं।
नरेंद्र सिंह राणा ने कहा कि केंद्र में बीजेपी सरकार के कार्यकाल से पहले कश्मीर के हालातों से सभी अवगत है। कैसे कश्मीर पंडितों और सिखों को कश्मीर से पलायन करना पड़ रहा था? बीजेपी का उद्देश्य जनता में एक दूसरे के प्रति प्यार और इंसानियत फैलाना था, है और रहेगा। उन्होंने एक मुहावरे के माध्यम से बैठक के बारे में बताया,’संत और संत दोनों ही कल्याणकारी होते है। संत के आगमन से सांस्कृतिक आनंदित हो उठती है और बसंत के आगमन से प्रकृती।’
ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में अमन-चैन, स्थिरता व शांति स्थापित राज्य, केंद्र और सेना मिलकर कर सकते हैं। जिसकी कमान बीजेपी के हाथों में है फिर भी सरकार को दिक्कत कहां आ रही है? सरकार को वाजपेयी जी की नीतियों को लागू करने से किसने रोका है? रही बात सरकार के बैठक की तो उसमें मेरा बोलना उचित नहीं लेकिन सरकार अपने उन विधायकों पर लगाम कसे जो आज एक SP, SO और टोल टैक्स वाले व्यक्ति के साथ बत्तसलूखी कर रहे है वरना जनता सब देख रही हैं।
डॉ सौरभ मालवीय ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और आतंकवाद संघ व बीजेपी का कोर विषय है। संघ सामाजिक कार्य में अपनी भूमिका सुनिश्चित करता है और सरकार अपनी। यह जनता के अपेक्षाओं की सरकार हैं, इसपर किसी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए।