गूगल ने शनिवार को अपने ‘गूगल डूडल’ के जरिए मजदूरों के हक के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाली अनसूया साराभाई को उनके 132वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दी है। अनसूया द्वारा समाज के लिए कई अच्छे काम किए गए थे, जिसे ध्यान में रखते हुए गूगल ने उनके सम्मान में उनका डूडल बनाया हैं।
अनसूया साराभाई को मोटाबेन के नाम से भी गुजरात में जाना जाता हैं। मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अनसूया साराभाई भारत में महिला श्रम आंदोलन की अगुआ नेता थी। 1920 में उन्होंने अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन (मजदूर महाजन संघ) की स्थापना की।
अनसूया जब 9 साल की थीं तभी उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। माता-पिता की मृत्यु के बाद अनसूया के चाचा ने 13 साल की उम्र में उनकी शादी करा दी थी। शादी के कुछ समय बाद उन्होंने अपने पति को तलाक दे दिया और वे अपने घर वापस आ गईं।
अनसूया डॉक्टर की पढाई के लिए इंग्लैंड जाना चाहती थीं। लेकिन जब उन्हें पता चला कि डॉक्टर बनने की प्रक्रिया में जानवरों को कट लगाना पडेगा, तो फिर उन्होंने अपना मन बदल दिया। अनसूया कोमल दिल वाली थीं और उनसे ये सब नहीं हो सकता था। वो किसी को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोच तक भी नही सकती थी।
1912 में अनसूया अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चली गई, जहां से उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया। यहां उनकी मुलाकात अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज बरनार्ड शॉ, सिडनी वेब्ब जैसे लोगों से हुई, जिन्होंने मार्क्सवाद के क्रांतिकारी सिद्धांतों को सिरे से खारिज कर समाजवादी समाज की सिफारिश की थी। इन लोगों से मुलाकात के बाद अनसूया ने समाजिक समानता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपनी सेवा दी।
इंग्लैंड में पढ़ाई खत्म होने के बाद अनसूया भारत आ गई और महिलाओं और गरीबों के भलाई के लिए काम करना शुरू किया। अपने समाजसेवी कार्यों के लिए स्कूलों, मजदूर महाजन संघ इत्यादि की भी स्थापना की। वह गांधी जी के भी काफी करीब थी और उन्होंने गुरू के रूप में अनसूया का मार्गदर्शन किया। 1972 में 87 साल की उम्र में अनसूया हमें छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गई।