रामनाथ कोविंद का नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रुप में सामने लाकर बीजेपी ने सभी को चौंका दिया। विपक्षी दलों की राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एकजुट होने की सारी कवायदों पर बीजेपी ने अपने इस कदम से पानी फेर दिया। जब तक बीजेपी ने रामनाथ कोविंद का नाम सामने नही किया था तब तक सभी को ऐसा लग रहा था का कि सत्तारुढ़ दल को विपक्ष कड़ी टक्कर देने की स्थिति में है। लेकिन शिवसेना और जेडीयू के समर्थन के ऐलान के बाद विपक्ष को बड़ा झटका लगा। अब सवाल उठने लगा है कि विपक्ष के एकजूट होने की सारी कवायदों के विफल होने के बाद अगला कदम क्या होगा। हालांकि कांग्रेस और उसके कुछ घटक दल राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के रुप में कुछ नामों पर विचार कर रहे हैं।

बुधवार 22 जून को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न  क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज), डा0 हिलाल नकवी ( प्रवक्ता कांग्रेस), रामचरित्र निषाद (सांसद बीजेपी) व मनोज यादव (नेता सपा) शामिल थे। 

डा0 हिलाल नकवी ने कहा कि अभी 4 बजे मीटिंग होनी है यूपीए के घटक दल के साथ। तब तक शायद हमें इंतजार करना चाहिए। वहां पर किस प्रकार की बात होती है और कौन लोग वहां पर पहुंचते हैं। जहां तक विपक्ष की एकजुटता का सवाल उठता है तो ऐसा कोई पहली बार नही है जब कोई व्यक्ति विशेष को समर्थन देने के लिए कोई राजनैतिक दल तैयार हो जाता है। पहले भी शिवसेना और जेडीयू प्रणव मुखर्जी के नाम पर समर्थन कर चुके हैं। विपक्ष की  इस टूट का निकर्ष निकालना बहुत जल्दबाजी होगी। किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के पद के रुप में समर्थन देने का ये मतलब नही बनता की विपक्ष एक साथ नही खड़ा होता है।

मनोज यादव ने कहा कि आज समाजवादी पार्टी, बसपा सभी दलों के एकजूट होने की वजह से बीजेपी को इतना खौफ हो गया कि उसने दलित उम्मीदवार उतार दिया। ये विपक्ष की कमजोरी नही है विपक्ष की जीत है। अगर आज की शाम की यूपीए की बैठक में उससे कोई बेहतरीन उम्मीदवार आता है तो विपक्ष की ये जिम्मेदारी है की वो चुनाव लड़े। वॉकओवर देना विपक्ष की कमजोरी होगी चुनाव लड़ने में कोई बुराई नही है। 2019 की कोई भी तस्वीर इसमें नही है जो भी कुछ है राष्ट्रपति चुनाव के लिए है। विपक्ष कमजोर है क्यों कि वोट का प्रतिशत बीजेपी के पास ज्यादा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की जाति को राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष ने बताया है। राष्ट्रपति की जाति को किसी व्यक्ति ने नही बताया। राजनीत में इस तरह का चलन बेहतर नही है।

रामचरित्र निषाद ने कहा कि अभी 6 महीना नही बीता यूपी के चुनाव में केवल एक बीएसपी बाहर थी बाकि ये सब लोग मिल कर लड़े। नतीजे इनको यूपी में मिल गये हैं। दलित शब्द विरोधी पार्टी के लोगों ने ही उठाया है बीजेपी ने नही उठाया है। बीजेपी ने तो केवल योग्यता को देखा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी ने जो फैसला किया है वो बहुत अच्छा फैसला है। उन्होंने हमारी पार्टी के लिए और देश के लिए बहुत सोच-समझकर कर उम्मीदवार दिया है।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि राष्ट्रपति पद का चुनाव और विपक्ष की एकता का दोनों अलग-अलग सवाल हैं। विपक्ष का एक उम्मीदवार राष्ट्रपति पद के लिए हो इसको लेकर पहल थी । उसको लेकर लेकिन ये नही कहा जा सकता कि वो विपक्षी एकता का कोई गम्भीर प्रयास था। उसमें बहुत सारे ऐसे दल हैं जिनमें आगे चलकर चुनाव होता है तो उनमें विचारधारा का टकराव होना तय है। वो सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक रणनीति के तहत साथ आए हैं जो महज कांग्रेस का एक प्रयास था, जिसमें कांग्रेस ने लीड लेकर इस तरह की कोशिश की थी कि सरकार से बाहर जितने दल हैं उनको एकजुट करके उनके बीच एक सहमति बना कर एक उम्मीदवार की बात करें।

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