छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार दोपहर 12.25 बजे सीआरपीएफ की 74th बटालियन पर नक्सलियों ने हमला किया। फायरिंग में 25 जवान शहीद हो गए, 6 घायल हुए और 8 लापता हैं। हमले के बाद सीएम रमन सिंह दिल्ली दौरा छोड़कर देर शाम रायपुर पहुंचे और अफसरों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस हमले पर अफसोस जाहिर किया। लेकिन इस दर्दनाक घटना के बाद अब सवाल उठने लगा है कि आखिर  कब हम अपने जवानों को शहादत देने के लिए और उनकी शहादत को सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल करना बंद करेंगे। ये पहला वाकया नही है जब नक्सलियों ने हमारे सैनिकों को निशान बनाया है इससे पहले भी कई बार हमला कर चुके हैं और हमारे नेता लगातार कड़े शब्दों में निंदा करते आये हैं।

मंगलवार 25 अप्रैल को एपीएन न्यूज के कार्यक्रम मुद्दा में छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले और नक्सलवाद से उबरने के उपायों पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज), प्रफुल बक्शी (रक्षा विशेषज्ञ), शहजाद पूनावाला (प्रवक्ता कांग्रेस)सुदेश वर्मा (राष्ट्रीय प्रवक्ता बीजेपी) शामिल थे।

प्रफुल्ल बक्शी ने कहा कि सुकुमा जैसे हमले 15 साल से हो रहे हैं उससे पहले तो रिपोर्टिंग नही होती थी। जो काम आर्मी करती है वो अगर आप अप्रशिक्षित पैरामिलिट्री से करायेंगे तो समस्या आयेगी। पैरामलिट्री में नेतृत्व की कमी है क्षमा चाहता हूं ये इसके लिए प्रशिक्षित नही हैं। हालांकि हर एक जवान बहादुर और काबिल है। जब बेरोजगारी वहां से हटेगी तो नक्सल का प्रकोप खत्म हो जायेगा।

शहजाद पूनावाला ने कहा कि दो महीने हो गये है आज तक सीआरपीएफ के डीजी को नियुक्त नही किया गया है। हमारी तीन लाख की सीआरपीएफ दो महीने से बिना हेड चल रही है। इसकी जिम्मेदारी किसकी है वो ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नही है।

सुदेश वर्मा ने  कहा कि 2014 के बाद ये पहली बड़ी घटना है। सरकार इस पर नजर बनाये हुए है। देखिए सरकार किसी की भी हो थोड़ा संयम बरतने की हमें जरुरत है। कांग्रेस की अपनी राजनीति हो सकती है जिसके कारण इनको लगता है कि नरेगा कर देगें तो नक्सलवाद खत्म हो जायेगा। इतना आसान होता तो सबको हम पैसा दे देते नक्सलवाद खत्म हो जाता।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि सीआरपीएफ का डीजी नियुक्त करने में किसी तरह का विलंब हो रहा हो सरकार की लापरवाही हो उसके लिए केन्द्र सरकार दोषी मानी जा सकती है। यूपी में एक दौर था जब नक्सलवाद असर दिखाने लगा था और कई घटनाएं हुई। उस वक्त एक समिति बनी थी और उस समिति ने इससे निपटने का कुछ सुझाव दिये थे। उन सुझावों में जो सबसे प्रमुख सुझाव था वो ये था कि नक्सलवाद से निपटने के लिए जो कोशिश हो उसमें स्थानिय पुलिस को प्रमुख रुप से  रखा जाये। स्थानिय पुलिस के सहयोग के तौर पर पैरामिलिट्री का प्रयोग हो क्यों कि पैरामिलिट्री फोर्स को इलाके की जानकारी नही होती है स्थानीय पुलिस को वो सारी जानकारी होती है। लेकिन मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि उस सिफारिश को लागू नही किया गया। बहुत दुर्भाग्य की बात है कि जब सुधारों की बात होती है तो गम्भीरता से उस पर अमल नही किया जाता है।

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