देश में वर्ष 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10 फीसदी की कमी लाने के लिए 22 नवंबर 2022 को भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने “राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति” (National Suicide Prevention Strategy) की घोषणा की है. यह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जिसमें आत्महत्या मृत्यु दर में कमी लाने के लिये समयबद्ध कार्ययोजना और बहु-क्षेत्रीय सहयोग शामिल है.
भारत सरकार द्वारा जारी की गई इस रणनीति को आत्महत्या की रोकथाम के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दक्षिण-पूर्व एशिया (South Asia) क्षेत्र रणनीति के तहत जारी किया गया है.
National Suicide Prevention Strategy के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नोट में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि, “स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है, देश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए हमें अब और अधिक प्रयास करने की जरूरत है. आत्महत्या, समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करती है. इसे ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर ठोस और सहयोगात्मक प्रयासों की जरूरत है. आत्महत्या रोकथाम रणनीति के माध्यम से इस दिशा में हम राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाने की पहल कर रहे हैं.“
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (National Suicide Prevention Strategy)
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (National Suicide Prevention Strategy) का लक्ष्य मोटे तौर पर अगले तीन वर्षों के भीतर आत्महत्या के लिये प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करना है. यह मनोरोग बाह्य रोगी (Psychiatric OPD) विभाग स्थापित करेगा जो अगले पांच वर्षों के अंदर सभी देश के सभी 766 जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम सेवाएं देना है.

इसके साथ ही नीति के प्रमुख उद्देश्यों में देश में अगले आठ वर्षों के भीतर सभी शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक कल्याण पाठ्यक्रम (Mental well-being curriculum) को एकीकृत करना है. यह नीति मीडिया रिपोर्टिंग और आत्महत्या के साधनों तक पहुंच को रोकने के लिए दिशा-निर्देश बनाकर आत्महत्याओं को रोकने की भी सोच रखती है.
क्या है भारत में आत्महत्याओं की स्थिति? (Suicide in India)
भारत में आत्महत्या के कारण हर साल एक लाख से ज्यादा मौतें हो जाती हैं और यह 15-29 आयु वर्ग में सबसे अधिक है. वर्ष 2019 से लेकर 2022 में आत्महत्या की दर प्रति 1,00,000 आबादी पर 10.2 से बढ़कर 11.3 हो गई है.
इसी साल अगस्त मे जारी की गई राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की “भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट 2021” में बताया गया है कि वर्ष 2021 में आत्महत्या पीड़ितों के बीच दैनिक वेतनभोगी सबसे बड़ा पेशेवर समूह बना रहा, इस वर्ग में 42,004 आत्महत्याओं (25.6 फीसदी) की जानकारी NCRB ने दी है.
2021 में पहली बार आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 25 फीसदी से भी अधिक रही को पार कर गया है. राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्याओं की संख्या में वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में 7.17 फीसदी की बढ़ोतरी देखा गई थी. लेकिन चौकाने वाली बात ये रही की इस अवधि के दौरान दैनिक वेतनभोगी (Daily Wager) समूह में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 11.52 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. देश में सबसे ज्यादा आत्महत्याओं की दरों में वृद्धि “स्व-नियोजित व्यक्तियों” (Self Employed) की श्रेणी में देखी गई है, जो 16.73 फीसदी थी.

2021 के डेटा में NCRB ने बताया कि “बेरोजगार व्यक्तियों” (Unemployed Persons) का समूह एकमात्र ऐसा समूह था जिसने आत्महत्याओं में गिरावट दर्ज की, जो वर्ष 2020 में 15,652 से 12.38 फीसदी घटकर वर्ष 2021 में 13,714 हो गई.
कृषि क्षेत्र और आत्महत्याएं (Agriculture Sector and Suicide)
देश में 2021 में दर्ज किए गए कुल आत्महत्याओं में “कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्तियों” (People indulge in Agriculture Sector) की कुल हिस्सेदारी वर्ष 2021 के दौरान 6.6 फीसदी थी.
क्या है आत्महत्या के कारण? Cause of Suicide
NCRB के डेटा में बताया गया है कि देश में 32.2 फीसदी आत्महत्याएं, पारिवारिक समस्याओं के चलते (विवाह से संबंधित समस्याओं के अलावा) हुई है, इसके अलावा 4.8 फीसदी आत्महत्याएं विवाह से संबंधित समस्याओं के कारण हुए थी. वहीं, 18.6 फीसदी बीमारी की समस्याओं के कारण आत्महत्याएं हुई थी.
वे राज्य जहां होती हैं सबसे ज्यादा आत्महत्याएं
वर्ष 2021 में रिपोर्ट की गई आत्महत्याओं की संख्या के मामले में महाराष्ट्र राज्य में देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए थे, इसके बाद तमिलनाडु और मध्य प्रदेश हैं. वर्ष 2021 में देश भर में दर्ज आत्महत्याओं की कुल संख्या में महाराष्ट्र का योगदान 13.5 फीसदी था. केंद्रशासित प्रदेशों की बात करें तो देश की राजधानी दिल्ली में सबसे अधिक 2,840 आत्महत्याएं दर्ज की गई थी.
आत्महत्याओं को कम करने के लिये भारत सरकार की पहले की नीतियां?
केंद्र सरकार द्वारा 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 लागू किया गया था जिसका उद्देश्य मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है. वहीं, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचारों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना करने वाले लोगों की सहायता करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन “किरण (KIRAN)” शुरू की है.
इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मनोदर्पण (Manodarpan) पहल की शुरूआत की है. इस पहल का उद्देश्य छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को COVID-19 के समय में उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना है.