Russia Ukraine Conflict: रूस में जो हो रहा है उसने कई मुल्कों की चिंता बढ़ा दी है। सवाल सिर्फ रूस की अस्थिरता का नहीं बल्कि इस अस्थिरता से पैदा होने वाले संकट का भी है। इस बात को भुलाया नहीं जा सकता कि रूस कोई आमूली मामूली देश नहीं है। सत्ता वहां अगर गलत हाथों में जाती है और अगर रूस बेलगाम देश हो गया तो फिर ऐसा दुनिया की तबाही के लिए रेड सिग्नल से कम नहीं होगा।
Russia Ukraine Conflict: क्या कमजोर पड़ रहे पुतिन?
रूस की कहानी ऐसी ही हो चुकी है। युक्रेन के मोर्चे पर नाकाम युद्ध और अब तख्तापलट में बाल बाल बचे पुतिन। भविष्य क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 1990 के दशकों में जिस अस्थिरता से रूस गुजर रहा था वहां से स्थायित्व के दौर में रूस को लाने का क्रेडिट अगर पुतिन को जाता है तो अब फिर से गृहयुद्ध के कगार पर ला खड़ा करने के लिए भी एक्सपर्ट्स पुतिन को जिम्मेदार मानते हैं। कार्यकुशलता और असर के लिहाज से पुतिन की साख तार तार हो चुकी है।
लिहाजा विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि ये कमजोर इमेज पुतिन के लिए घातक है। 1999 में सत्ता के शिखर को छूने वाले और पिछले 23 से लगातार सत्ता पर काबिज रहने वाले पुतिन अब कमजोर और लाचार लीडर के तौर पर देखे जा रहे हैं। जहां ये कहना मुश्किल है कि पुतिन की सरकार कितने महीनों या हफ्तों की मेहमान है।
क्या न्यूक्लियर खतरे की ओर ले जा रहे रूस के हालात?
रूस में चुनावी प्रक्रिया कभी ट्रांसपेरेंट नहीं रही है। इसके बाद भी वोटिंग में कितनी भी धांधली हो जाए, 2024 में पुतिन फिर से 6 साल के लिए राष्ट्रपति बनेंगे ये चांस कम हैं। आसार तो ये भी हैं कि शायद पुतिन अगले चुनाव से पहले ही कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिए जाएं। एक्सरपर्ट्स मानते हैं कि ऐसा भी संभव है कि मेडिकल ग्रांउड या बीमारी का बहाना बनाकर पुतिन को वॉलंटरी रियाटरमेंट के लिए बाध्य कर दिया जाए।
फिलहाल अगर किसी भी कारण से पुतिन की कुर्सी जाती है तो रूसी संविधान के आर्टिकल -92 के प्रावधान कहते हैं कि राष्ट्रपति पद की अस्थायी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन को मिलेगी। लेकिन जो लोग राष्ट्रपति पद के दावेदार हैं उनमें रूस के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर निकोलाई पत्रुशेव, दावेदारों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर निकोलाई के बेटे दिमित्री हैं जो फिलहाल रूस के कृषि मंत्री हैं। एक्सपर्टस की राय में ये दोनों नेता ही ये कूवत रखते हैं कि कभी भी यूक्रेन युद्ध में नाकामी के लिए पुतिन को बलि का बकरा बना सकते हैं।
जानकारों की राय में सबसे बड़ा खतरा ये है कि पुतिन की रवानगी की सूरत में अगर सत्ता सेना के पास जाती है, या फिर रूस में क्षेत्रीय या बाहुबल-धनबल के बूते कोई राष्ट्रपति बनता है तो रूस भी अगला उत्तर कोरिया और ईरान जैसा मुल्क बन सकता है। यानी तब दुनिया को न्यूक्लियर खतरे के एक और वास्तविक डर से गुजरना होगा।
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