गुजरात चुनाव का शंखनाद बहुत पहले ही हो चुका है और सियासी गर्मी सभी राजनीतिक पार्टियों के सर चढ़ कर बोल रही है। गुजरात चुनाव के आगाज के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के बीच की चुनावी जंग, हर बदलते दिन के साथ एक नया मोड़ लेती जा रही है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और अटल सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा इन दिनों गुजरात में हैं। यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर मोदी सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली को रडार पर ले लिया है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए, यशवंत ने नोटबंदी और जीएसटी से परेशान जनता की तुलना करेला नीम पर चढ़ा से की। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने नोटबंदी की तुलना अपना सिक्का चलाने वाले तुगलकी फरमान से की।

गुजरात दौरे के दौरान उन्होंने कहा, “गुजरात में इस समय लोगों के मन में चिंता ने घर कर रखा है”। लोग नोटबंदी से परेशान थे, ऊपर से जीएसटी ने कमर तोड़कर रख दी है। जीएसटी और नोटबंदी की वजह से किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, मेरे देश का किसान दु:खी है।

कुछ इस तरह यशवंत सिन्हा ने रखी अपनी बात-

यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर परेशान लोगों का कारण अर्थव्यवस्था को ठहराया। नोटबंदी की तुलना मुहम्मद बिन तुगलक से करते हुए कहा-तुगलक ने भी अपना सिक्का चलाया था और पुराने सिक्के बंद कर दिए थे। ठीक उसी तरह से नोटबंदी से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। बहुत लोग अब तक बेरोजगार हो चुके हैं। एक संस्था के मुताबिक, नोटबंदी के एक साल बाद भी अबतक 20 लाख लोगों को नौकरी नहीं मिली है।

जीएसटी को कहा करेला जैसे चढ़ा नीम पर –

ये कहावत नोटबंदी पर सटीक बैठती है क्योंकि करेला वैसे ही तीखा होता है और जब वो नीम पर चढ़ता है तो और ज्यादा तीखा हो जाता है। यानी नोटबंदी पहले ही बर्दाश्त से बाहर थी उसके बाद जीएसटी ने लोगों की कमर तोड़ दी है।

 जीएसटी को ठहराया गलत-

यशवंत सिन्हा का कहना है कि मैंने भी जीएसटी के पक्ष में काफी समय तक काम किया और जब गुजरात सरकार ने इसका विरोध किया था, तब भी मैं जीएसटी के पक्ष में खड़ा रहा था। लेकिन जीएसटी को लागू करने का ये तरीका पूरी तरह से गलत है। जीएसटी को जिस तरह से लागू किया गया है, उसने जीएसटी की बदनामी करा दी है। अब जब संशोधन किया जा रहा है इसका मतलब ये ही है कि वो ठीक नहीं है।

जीएसटी में बदलाव को बताया रणनीति-

पूर्व वित्त मंत्री ने चुनाव से ठीक पहले जीएसटी में किये गए बदलाव को रणनीति करार दिया। गुजरात में वोट बैंक बढ़ाने के उद्देश्य से जीएसटी में कटौती की गई है।

सारांश- गुजरात चुनाव का शंखनाद बहुत पहले ही हो चुका है और सियासी गर्मी सभी राजनीतिक पार्टियों के सर चढ़ कर बोल रही है। गुजरात चुनाव के आगाज के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के बीच की चुनावी जंग, हर बदलते दिन के साथ एक नया मोड़ लेती जा रही है

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