Nitish Kumar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी इच्छा व्यक्त की है कि वह एक दिन राज्यसभा सदस्य के रूप में काम करना चाहेंगे। अब उनकी राजनीतिक भविष्य के बारे में सियासी गलियारों में बड़े पैमाने पर अटकलें लगाई जा रही हैं। दरअसल, नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने लोकसभा सदस्य के रूप में काम किया है और केंद्र में कैबिनेट मंत्री भी बने हैं। वे विधायक भी बने और बिहार में विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने गए और राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली।
Nitish Kumar ने जाहिर की राज्यसभा जानें की तमन्ना
उन्होंने कहा कि मैंने बिहार में लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद में सेवा की, लेकिन कभी राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्य नहीं किया। मेरी इच्छा है कि मैं एक दिन राज्यसभा सदस्य के रूप में सेवा करूं। वर्तमान में, मैं इसके बारे में नहीं सोचूंगा।
नीतीश कुमार की इच्छा की राजनीतिक पर अलग-अलग तरह से व्याख्या की जा रही है। बिहार एनडीए (भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि या तो उन्हें दिल्ली में एक प्रतिष्ठित नौकरी के बारे में बताया गया है या उन्होंने भाजपा नेतृत्व को एक विचार दिया है जिस पर वह विचार करने को तैयार हैं।
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अब सियासी गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर नीतीश मुख्यमंत्री पद छोड़कर राज्यसभा जाते हैं तो बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा। वहीं जदयू से दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। वैसे कयास ये भी लगाया जा रहा है कि बिहार में बीजेपी दलित या फिर ओबैसी चेहरे की तलाश में है, और इस बात की संभावना है कि इन्हीं दोनों जाती में से कोई मुख्यमंत्री होगा।
लालू यादव और सुशील मोदी के बराबरी करना चाहते हैं Nitish Kumar
बता दें कि कुमार अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद और दोस्त सुशील कुमार मोदी से मेल खाना चाहते हैं, जिन्होंने संसद और राज्य विधानसभा के दोनों सदनों में काम किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार बिना वजह कभी कुछ नहीं कहते। उन्हें पता था कि अगले कुछ हफ्तों में उपराष्ट्रपति का पद खाली हो जाएगा, इसलिए वह बिहार की राजनीति से सम्मानपूर्वक बाहर निकलना चाहते हैं।
Nitish Kumar की पार्टी के पास बिहार में 45 सीटें
2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार की पार्टी जदयू केवल 45 सीटें जीतने में सफल रही। फिर भी, वह भाजपा के साथ सौदेबाजी करने में कामयाब रहे और बिहार के मुख्यमंत्री का पद बरकरार रखा। बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन इतना आसान नहीं है। भाजपा पिछले काफी समय से बिगड़ती कानून-व्यवस्था, शराबबंदी के खराब क्रियान्वयन समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर उन पर निशाना साध रही है।
मोदी का अभिवादन बन गया चर्चा का विषय
बुधवार को भाजपा के एक विधायक विनय बिहारी ने नीतीश कुमार को हटाने और उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पदोन्नत करने के लिए अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की खुले तौर पर मांग की। बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच खटास के बावजूद नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे और देश में उनके शासन की तारीफ की। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी का अभिवादन करने का अंदाज चर्चा का विषय बन गया था।
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बता दें कि नीतीश कुमार ने 2020 के बिहार चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में जनता दल यूनाइटेड ने सहयोगी भाजपा की तुलना में कम सीटें जीतीं और कुल मिलाकर तीसरा स्थान हासिल किया। बिहार में पिछले दो वर्षों में, भाजपा के साथ साझेदारी तनावपूर्ण रही है।
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