Mahant Narendra Giri Case : महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले की सुनवाई सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई। सीबीआई के अधिवक्ता संजय यादव ने कोर्ट को बताया कि आस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त से मिली जानकारी के अनुसार आनंद गिरी को छेड़छाड़ के आरोप में सिडनी पुलिस ने गिरफ्तार कर हिरासत में लिया था। हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। इसके बाद वे भारत लौट आए। कोर्ट में आरोपी शिष्य आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई फिलहाल टल गई।

Mahant Narendra Giri Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी
महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले में आनंद गिरि ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। इसके जरिये उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कोर्ट से जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने सीबीआई से आनंद गिरी के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में दर्ज मुकदमे की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछा था। मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होनी तय थी।
Mahant Narendra Giri Case : मामले की अगली सुनवाई 24 को
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई करते कहा कि पूरी जानकारी को हलफनामे के जरिए एक हफ्ते के अंदर कोर्ट में दाखिल करें। अब जमानत अर्जी को लेकर अगली सुनवाई 24 फरवरी को होनी तय हुई है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने कहा था कि सुनने में आया है कि आस्ट्रेलिया में गिरफ्तारी की गई थी। जिस पर कोर्ट ने सीबीआई को आस्ट्रेलिया से जानकारी लेकर बताने को कहा था।
क्या है मामला
पिछले वर्ष 20 सितंबर 2021 को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का शव प्रयागराज के बाघमबरी मठ में बने कमरे से बरामद हुआ था। महंत के सुसाइड नोट में आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी को आत्महत्या का दोषी बताया गया था।
इसके बाद सीबीआई ने इन लोगों को आरोपी मानते हुए तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। मामले की जांच पड़ताल के बाद सीबीआई ने 20 नवंबर को आनंद गिरी समेत अन्य के खिलाफ 1 हजार पन्ने की चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट दाखिल होने के बाद जिला न्यायालय ने स्वामी आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। बाद में आरोपी आनंद गिरी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। याची का कहना है कि वह उसके गुरू थे। उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप निराधार है। याची के विरुद्ध कोई सबूत नहीं है, जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सके।
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