‘ऑड-ईवन’ स्कीम को 13 नवंबर से शुरू करने के फैसले को केजरीवाल सरकार ने शनिवार को रद्द कर दिया। इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को सख्त शर्तों के साथ ऑड-ईवन लागू करने के लिए मंजूरी दी थी। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को ये विकल्प दिया था कि वह चाहे तो सोमवार से ऑड-ईवन स्कीम लागू कर सकते है लेकिन उन्हें एनजीटी की सभी शर्तो को स्वीकार करना होगा। जिसमे VIPs, टू व्हीलर्स और महिलाओं को भी राहत नहीं दी गई थी।  दिल्ली सरकार ने स्पष्ट शब्दों में इस फैसले की निंदा करते हुए कहा- “ऐसी स्थिति में इस स्कीम को लागू करना संभव नहीं है। अब सोमवार को फिर से अपील की जाएगी।”

एनजीटी ने कहा था कि किसी भी अधिकारी, महिला या दो पहिया वाहनों को कोई छूट न दी जाए।  हालांकि सीएनजी वाहनों, एंबुलेंस और दमकल जैसी आपातकालीन सेवाओं को ऑड-इवन स्कीम से छूट बरकरार रहे।

इसके अलावा एनजीटी ने दिल्ली सरकार को कई और भी सुझाव दिए-

-दिल्ली सरकार पार्किंग चार्ज बढ़ाने के अपने आदेश पर पुनर्विचार करे। साथ ही दिल्ली सरकार और पुलिस के बीच सामंजस्य बनाने के प्रयास करे।

-डीटीसी ऑड-ईवन के दौरान सिर्फ सीएनजी बसों का प्रयोग करें।

-दिल्ली आने वाले सभी रास्तों के बार्डर पर जाम न लगें। इसके लिए सभी प्राइवेट यातायात सर्विस देने वाले के साथ सरकार कोर्डिनेट कर सीएनजी बसें चलाए।

-आने वाले हफ्ते में पानी का छिड़काव किया जाए। पानी के छिड़काव के लिए, पैसे न होने का बहाना स्वीकृत नहीं किया जाएगा।

-जब भी पीएम 10 का स्‍तर 500 और पीएम 2.5 का स्‍तर 300 के ऊपर होगा, सिर्फ ऐसी स्थिती में ही दिल्ली सरकार ऑड-ईवन करने को बाध्य होगा।

एनजीटी ने खड़े किए थे सवाल-

दिल्ली सरकार के ऐलान के बाद से ही, एनजीटी ने अरविन्द केजरीवाल को, सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया था जिसके बाद से ही अरविन्द केजरीवाल स्वयं ही अपने फैसले के कटघरे में फंसते दिख रहे थे। एनजीटी लगातार दिल्ली सरकार से सवाल पूछ रही थी कि ऑड-ईवन फार्मूले पर इतनी जल्दबाजी क्यूँ की जा रही हैं? बिना एलजी की अनुमति से कैसे ऑड-ईवन फार्मूला लागू किया गया? जिस पर दिल्ली सरकार जवाब देने में असमर्थ नजर आ रही थी।

प्रदूषण ने धारण किया विकराल रूप-

दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण का गहरा साया बना हुआ है, प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है। प्रदूषण के जुल्म के चलते दिल्लीवासियों का घर से निकलना दुश्वार हो चुका है। आलम ये हैं की लोगो को इस जानलेवा प्रदूषण के चलते, अपने ही घरो में कैद होकर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदूषण से बचाव के लिए बच्चो को स्कूल से राहत दे दी गई है और हमेशा स्कूल से नफरत करने वाले बच्चे, स्कूल जाने के लिए तरस रहे है।

ऑड-ईवन फार्मूला पड़ा,दिल्ली सरकार पर भारी-

दिल्ली वासियों को प्रदूषणनुमा शैतान से बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन फार्मूला को लागू करने का ऐलान विगत कुछ दिनों पूर्व किया था लेकिन अब दिल्ली सरकार का ये फैसला, स्वयं अरविन्द केजरीवाल के लिए जी का जंजाल बनता नजर आ रहा है। दिल्लीवासियों के साथ-साथ अरविन्द केजरीवाल के सर से भी मुसीबतों के बादल छट्टे नहीं दिख रहे हैं। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को खरी खोटी सुनाते हुए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के इस फैसले को बे-बुनियादी करार करते हुए गलत ठहरा दिया था। अब शनिवार को, एनजीटी ने फैसला सुनाते हुए, कुछ बुनियादी शर्तो के साथ, ऑड-ईवन को लागू करने की अनुमति दे दी हैं।

एनजीटी द्वारा लागू की गई अन्य शर्ते-

  1. कमिश्नर ट्रांसपोर्ट की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जायेगी जिसमे सीपीसीबी, डीपीसीसी और दिल्ली सरकार के अधिकारी शामिल होंगे जो 10 दिनों के लिए CO2, ozone, so2, गैसों को मॉनिटर करेंगे।
  2. दिल्ली के 300 किलोमीटर के आसपास चल रहे 13 थर्मल प्लांट सल्फेट गैस छोड़ रहे हैं, ये पीएम 10 और 5 का स्तर बढ़ा रहे हैं इन्हें जल्द से जल्द अपग्रेड किया जाए।
  3. ये सुनिश्चित करना दिल्ली और पड़ोसी राज्य का काम हैं कि अगली सुनवाई तक कोई भी निर्माण कार्य न हो।
  4. किसी भी लैंडफिल साइट में आग न लगाई जाए अगर ऐसा हुआ तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ़ कार्यवाही होगी।

सरकार ने साधी थी चुप्पी-

दिल्ली में आप सरकार ने एनजीटी के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया था। दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने अपने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहां था, हमारा ये फैसला पूर्णतया जनता की भलाई के मद्देनजर लिया गया हैं। ऑड इवन स्कीम के प्रयोग से जनता में, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के प्रयोग को चलन में लाया जा सकेगा जिसके भावी परिणाम भविष्य में देखने को मिलेंगे।

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