भगवान विनायक के जन्मदिवस पर मनाया जानेवाला महापर्व भारत के सभी राज्यों में हर्सोल्लास से आयोजित किया जाता है। बप्पा के आगमन पर पूरे देशवासी जोर-शोर से तैयारियां करते हैं। बुद्धि और बल के लिए पूजे जाने वाले भगवान गणेश के जन्मदिवस पर मुंबई के दादर और परेल से सटे लालबाग इलाके में गणपति का भव्य आगमन हर साल किया जाता है।
लगभग 82 सालों से लालबाग क्षेत्र में गणेश चतुर्थी के अवसर पर भव्य दरबार सजाया जाता है और बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ जुटती है जो आजादी से पहले से चली आ रही विरासत का हिस्सा है। वक्त के साथ भले ही दरबार की बाहरी सजावट बदल गई हो, लेकिन आस्था का वही रूप श्रद्धालुओं में आज भी कायम है।
मुंबई के दादर और परेल से सटे लालबाग इलाके में बहुत सी मीलें हुआ करती थीं, इस इलाके में मजदूर और मछुवारे रहा करते थे। 1932 में लालबाग इलाके की पेरू चॉल बंद हो जाने से मछुआरों और दुकानदारों की कमाई का जरिया खत्म हो गया था, तब कुछ लोगों ने मिलकर अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए गणपति की पूजा शुरू की थी। धीरे-धीरे इस पूजा में आसपास के लोग भी शामिल होने लगे और लालबाग में बाजार खड़ा करने के लिए चंदा देने लगे। मन्नत पूरी होते ही 12 सितम्बर 1934 को गणपति प्रतिमा की स्थापना स्थानीय लोगों द्वारा की गयी। धीरे-धीरे लालबाग के इस गणपति की महिमा की चर्चा हर जगह होने लगी। मुंबई के अलग-अलग हिस्सों से यहां दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। तभी लालबाग के गणपति को मराठी में नया नाम मिला ‘लालबाग चा राजा’ यानी ‘लालबाग के राजा’। 1934 के बाद हर साल यहां एक नए गणपति की प्रतिमा स्थापित होती है।
लालबाग की सारी मूर्तियों में एक खास समानता है। इन मूर्तियों को लालबाग में रहने वाले एक ही परिवार के मूर्तिकारों ने बनाया है। पिछले 8 दशकों से कांबली परिवार ही ‘लालबाग के राजा’ की मूर्ति बना रहा है। आज इस परिवार के सहयोग के बिना लालबाग में गणपति के दरबार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
लेकिन लालबाग के राजा की महानता के पीछे सिर्फ मूर्ति की भव्यता नहीं है। लालबाग मंडल ने अपने गणपति को अहम बनाने के लिए समाज कल्याण से जुड़े कई काम किए हैं। देश के बंटवारे में बेघर लोगों की मदद से लेकर 1959 में बिहार में बाढ़ से मची तबाही। हर मुश्किल घड़ी में इस पंडाल ने आर्थिक मदद की है और ये सिलसिला अभी तक जारी है।
लालबाग के राजा के उत्सव का ये 82वां साल है। 10 दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत इसबार सोमवार 5 सितंबर को हुई और कुछ फ़िल्मी अंदाज़ में श्रधालुओं को बप्पा ने दर्शन दिए। बप्पा की प्रतिमा को एक पर्दे से ढककर रखा गया था। गुरुवार शाम 6:30 बजे मंडल के अध्यक्ष ने पंडाल का पर्दा रिमोट से हटाया और वहां खड़े हजारों लोगों को बप्पा के दर्शन हुए और इसके बाद लालबाग के राजा की आरती की गई।