Ashes 2021-22: Australia और England के बीच होने वाले Ashes Series का अगला मुकाबला 16 दिसंबर से खेला जाएगा। यह मुकाबला पिंक बॉल से खेला जाएगा। एशेज के इतिहास में पहली बार Day-Night मुकाबला देखने को मिलेगा। इससे पहले आजतक एशेज में डे-नाइट टेस्ट नहीं खेला गया है। एशेज का दूसरा मुकाबला एडिलेड में खेला जाएगा। पहले मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 9 विकेट से हराकर सीरीज में जीत के साथ शुरुआत की। वहीं दूसरे पिंक बॉल टेस्ट मैच में इंग्लैंड वापसी करना चाहेंगा।
Pink Ball से होगा दूसरा ऐतिहासिक टेस्ट मैच
अब पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का अगला टेस्ट मैच ऐतिहासिक पिंक बॉल और डे-नाईट फॉर्मेट में खेला जाएगा। जिसकी शुरुआत 16 दिसंबर से एडिलेड में होगी और यह एशेज के इतिहास का पहला डे-नाईट टेस्ट मैच भी होगा। जिसके चलते पहले टेस्ट मैच में अपने अनुभवी तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन के बिना उतरा इंग्लैंड, दूसरे मैच में दमदार वापसी करना चाहेगा।
पहली Pink Ball
इसका निर्माण ऑस्ट्रेलिया की बॉल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी कूकाबूरा ने किया था। कूकाबूरा ने कई साल तक इस नई पिंक बॉल को लेकर परीक्षण किया तब जाकर एक बेहतरीन गुलाबी गेंद बन पाई। पहली पिंक बॉल तो 10 साल पहले बन गई थी, मगर इसकी टेस्टिंग करते-करते पांच-छह साल और लग गए। आखिरकार 2015 में एडीलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए पहले डे-नाइट टेस्ट पिंक बॉल से खेला गया। बाद में इस नई गेंद का सफर बढ़ चला।
Pink रंग ही क्यों?
टेस्ट क्रिकेट सफेद जर्सी में खेला जाता है, तो इसलिए उसमें लाल रंग की गेंद का इस्तेमाल होता है, ताकि गेंद आसानी से नजर आए। उसी तरह वन-डे रंगीन कपड़ों में होता है, ऐसे में उसमें सफेद गेंद इस्तेमाल होती है। अब डे-नाइट टेस्ट में गुलाबी रंग की गेंद का ही क्यों इस्तेमाल होता है, यह सवाल तमाम क्रिकेट फैंस के जेहन में उभर रहा होगा। शुरुआत में पीली और नारंगी जैसी कई रंगों की गेंदों को बतौर प्रयोग आजमाया गया, जो कैमरा फ्रेंडली नहीं थी। दरअसल मैच कवर कर रहे कैमरामैन ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहा था कि ऑरेंज कलर को कैमरा के लिए कैप्चर कर पाना काफी मुश्किल होता है, यह गेंद दिखाई नहीं देती। इसके बाद सबकी सहमति से पिंक कलर को चुना गया।