MCD Election 2022: देश की राजधानी, विकेंड में होने वाले नगरपालिका चुनावों की तैयारी कर रही है। मतदान से दो दिन पहले शुक्रवार यानी आज शाम को चुनाव प्रचार थम गया है। साथ ही शाम से पूरे शहर में शराब की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से मतदान स्थलों पर सीटों के हिसाब से EVM लगाने का काम भी पूरा हो गया है।
MCD Election 2022: वार्डों की संख्या हुई कम
इस साल मई में पहले नगर निगम के एकीकरण के बाद, पहली बार राजधानी में चुनाव हो रहा है। परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या भी कम हो गई है। पार्टियां इस बार पिछली 272 के बजाय 250 सीटों के लिए फाइट कर रही हैं। इनमें से 104 सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए 42 सीटें अलग रखी गई हैं, जिनमें से 21 अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए हैं।
रविवार को होगा चुनाव
रविवार, 4 दिसंबर, 2022 को सभी सीटों पर चुनाव होगा। मतदान का समय सुबह 8 बजे से शाम 5:30 बजे तक होगा। बुधवार 7 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी और फिर नतीजे घोषित किए जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त मुकाबले की उम्मीद है। 250 सीटों में से प्रत्येक पर भाजपा और आप दोनों के उम्मीदवार हैं। इस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 247 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

बसपा, AIMIM भी चुनावी मैदान में
इसके अलावा इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी ताल ठोक रही है। बसपा 132 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से 26 उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 15, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल-यूनाइटेड (JD-U) ने 22 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
गौरतलब है कि दिल्ली में पिछले 15 सालों से बीजेपी एमसीडी चुनाव जीतती आ रही है। आम आदमी पार्टी ने पिछले एमसीडी चुनावों में 49 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 31 सीटों से संतोष करना पड़ा। उपलब्ध 272 में से 181 सीटों के साथ, भाजपा ने विपक्ष को आसानी से हरा दिया। चलते-चलते कुछ जरूरी सवालों के जवाब:

दिल्ली में कितने नगर निकाय हैं?
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी के क्षेत्र की देखरेख का जिम्मा तीन अलग-अलग निकायों पर है। हालांकि, एमसीडी के दायरे में दिल्ली का पूरा इलाका नहीं आता। नई दिल्ली जहां प्रमुख सरकारी इमारतें, दफ्तर, आवासीय परिसर और दूतावास/उच्चायोग हैं, वह नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में आता है। NDMC के बोर्ड में कुछ विधायकों को भी शामिल किया जाता रहा है।
वहीं दूसरी ओर दिल्ली कैंटोनमेंट एरिया की देखरेख का जिम्मा दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड (DCB) का है। सेना का स्टेशन कमांडर ही DCB का अध्यक्ष होता है। डिफेंस एस्टेट्स सर्विस कैडर के एक अधिकारी को CEO नियुक्त किया जाता है। इसके बोर्ड में 8 सदस्य होते हैं।
पहले तीन नगर निगम थे, अब एक
अब बात दिल्ली नगर निगम की। पहले दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2011 में इसे तीन भागों में बांटकर दक्षिण, पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम कर दिया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सरकार का तर्क था कि दिल्ली काफी फैल चुकी है। बेहतर कामकाज के लिए उन्होंने ऐसा प्रस्ताव दिया था। हालांकि इसका असर सालों बाद देखने को मिला। देखते ही देखते इन इलाकों में नगर निगमों की होने वाली आमदनी और खर्चों के बीच संतुलन नहीं रहा। हालात इतने बदतर होता गया कि कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो गया।
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