10 दिन बाद भी ठीक नहीं हो पाए देश के सबसे बड़े अस्पताल AIIMS के हैक किए गये सर्वर, जानिए क्या है ये पूरा मामला और क्यों लग रहा है इतना समय

पिछले बुधवार को सर्वर के हैक होने के बाद से AIIMS में इमर्जेंसी, ओपीडी, लैबरेटरी आदि को मैन्युअली संचालित किया जा रहा है. अभी एम्स के पास कुल 50 सर्वर हैं जिनमें 20 की स्कैनिंग हो चुकी है.

0
115
10 दिन बाद भी ठीक नहीं हो पाए देश के सबसे बड़े AIIMS के हैक किए गये सर्वर, जानिए क्या है ये पूरा मामला और क्यों लग रहा है इतना समय - APN News
AIIMS Delhi

देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में इलाज करवा चुके लाखों मरीजों की गुप्त व्यक्तिगत जानकारियां हैकरों (Hacker) के हाथ लग गई हैं. 23 नवंबर 2022 को हैकरों ने एम्स के पांच प्रमुख सर्वरों को निशाना बनाया था. 10 दिन बीत जाने के बाद भी ये सर्वर रिकवर नहीं हो पाए हैं. अब आशंका जताई जा रही है कि इस हैकिंग के पीछे चीनी हैकरों का हाथ हो सकता है.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने भी इसे बड़ी साजिश मानते हुए आशंका जताई है कि इसके पीछे स्टेट एक्टर या बड़े संगठित गैंग भी हो सकते हैं. चंद्रशेखर ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा कि एम्स सर्वर अटैक कोई सामान्य अटैक नहीं है, यह निश्चित रूप से एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. उन्होंने आगे कहा कि इसमें मरीज का डेटा लीक नहीं हुआ है बल्कि मरीज के डेटा का एक्सेस एम्स अस्पताल से बंद हो गया है. यह साइबर सिक्यॉरिटी का मसला है.

ये भी पढ़ें – जानिए Gujarat के कांग्रेस नेता Madhav Singh Solanki के KHAM फार्मूले के बारे में और 1985 का वो रिकार्ड जिसको 37 साल बाद भी नहीं तोड़ पाई भाजपा

क्या एम्स में सर्वर हैंकिंग के पीछे चीनी हैकरों का हाथ है?

इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि एम्स के प्रमुख डिजिटल क्रियाकलापों को ठप करने के पीछे चीनी हैकरों का हाथ हो सकता है. सूत्रों ने कहा है कि हैकर एम्स सर्वर से डेटा चुराकर डार्क वेब पर बेच रहे हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि डार्क वेब पर एम्स से चोरी किए गए डेटा के लिए 1,600 से ज्यादा सर्च किए गए हैं. जिनके डेटा हैकरों के हाथ लगे हैं, उनमें नेता, मशहूर हस्तियां जैसे वीवीआईपी शामिल हैं. आशंका जताई जा रही है कि 3 से 4 करोड़ मरीजों के डेटा चुरा लिए गए हैं.

वहीं, The Intelligence Fusion and Strategic Operations ने बताया कि एम्स के पांच सर्वर में छेड़खानी की गई हैं. हालांकि, उनका कहना है कि इन हैक्ड सर्वर से कोई डेटा लीक नहीं हुआ है. इस हैकिंग के मामले को आईएफएसओ हैंडल कर रहा है. आईएफएसओ अधिकारियों का कहना है कि हैकर्स के हमले का मुख्य मकसद पैसे लेना है. हैकर्स ने एम्स से कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की मांग कर भी दी है.

AIIMS New Delhi

इस मामलों को लेकर CERT, NIA और दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सरकारी संस्थाओं को साइबर अटैक से बचाने के लिए कई तरह के पुख्ता इंतजाम करती है लेकिन एम्स एक स्वायत्त संस्थान (Autonomous Organisation) है, जो इस काम के लिए प्राइवेट एजेंसियो को हायर करती है. सरकार भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक स्टैंडर्ड तय करने पर विचार कर रही है, जिसे एडवाइजरी के रूप में एम्स जैसे संस्थानों को भेज कर उनसे इसे लागू करने का आग्रह किया जाएगा.

एम्स में क्या बदला?

पिछले बुधवार को सर्वर के हैक होने के बाद से AIIMS में इमर्जेंसी, ओपीडी, लैबरेटरी आदि को मैन्युअली संचालित किया जा रहा है. अभी एम्स के पास कुल 50 सर्वर हैं जिनमें 20 की स्कैनिंग हो चुकी है. वहीं, दोबारा एंटीवायरस इंस्टॉल करने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई है. एम्स के कुल 5 हजार में से 1,200 कंप्यूटरों में एंटीवायरस डाले जा चुके हैं.

इसके अलावा, ई-अस्पताल सेवाओं को फिर से शुरू करने और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए एम्स में एक मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (CISO) को नियुक्त किया जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अलावा, भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (CERT-IN), दिल्ली साइबर अपराध विशेष प्रकोष्ठ सहित विभिन्न एजेंसियां रैंसमवेयर हमले की जांच कर रही हैं.

ये भी पढ़ें – जानिए India में कहां से आता है सबसे ज्यादा Remittance और इसके क्या हैं मायने, विदेश में रहने वाले भारतीयों ने 2022 में भेजे 8 लाख करोड़ रुपए

क्या कहते हैं भारत में साइबर क्राइम के आंकड़े?

भारत सरकार देश में एक लाख करोड़ रुपये की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने का संकल्प कर चुकी है. भारत में मौजूदा समय में 70 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, भारत में साल 2021 में साइबर क्राइम के महज 52,974 मामले दर्ज हुए थे.

बड़े निशानों पर टार्गेट?

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल जून में हुए साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान कहा था कि, “साइबर सुरक्षा सिर्फ डिजिटल वर्ल्ड के लिए नहीं अब राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है.” इसी सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा था कि “साइबर सुरक्षा किसी भी सफल डिजिटल बदलाव की आधारशिला है. साइबर दुनिया में कोई भी खतरा सीधे तौर पर हमारी सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करता है और इसलिए हमें अपने साइबर दुनिया की सुरक्षा करने की आवश्यकता है.”

इससे पहले भी अंतरराष्ट्रीय हैकरों ने भारत में बड़े निशानों को टार्गेट करना तेज कर दिया है. इसी साल अप्रैल और सितंबर महीनों में भारत के कई पावर ग्रिडों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी इसके अलावा वित्तीय क्षेत्र में बैंकों और बीमा कम्पनियों ने भी साइबर हमलों का सामना किया है.

देश के सभी वीआईपी लोगों का मेडिकल रिकॉर्ड भी एम्स में

एम्स में साइबर अटैक की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश के करोड़ों मरीज़ों के निजी मेडिकल इतिहास के अलावा भारत के अब तक के लगभग सभी प्रधानमंत्रियों, कैबिनेट मंत्रियों, कई वैज्ञानिकों और हजारों वीआईपी लोगों का भी मेडिकल रिकॉर्ड दर्ज है. इसके अलावा एम्स में कई प्राइवेट वीवीआईपी वॉर्ड भी हैं जहां पूर्व-प्रधानमंत्रियों के अलावा अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का न सिर्फ इलाज चलता है बल्कि उनका पूरा मेडिकल इतिहास कम्प्यूटर पर हमेशा मौजूद रहता है.

ये भी पढ़ें – AIIMS सर्वर अटैक मामले की जांच में कूदी कई एजेंसियां, किसी भी तरह का सुराग जुटाने में पुलिस के हाथ खाली

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here