PM मोदी बन सकते हैं BRICS सम्मेलन के सबसे प्रभावशाली नेता, जिनपिंग-पुतिन की गैरमौजूदगी भारत के लिए कैसे बन सकती है मौका

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PM मोदी बन सकते हैं BRICS सम्मेलन के सबसे प्रभावशाली नेता
PM मोदी बन सकते हैं BRICS सम्मेलन के सबसे प्रभावशाली नेता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अपने सबसे लंबे अंतरराष्ट्रीय दौरे पर हैं, जहां वे आठ दिनों में पांच अलग-अलग देशों की यात्रा कर रहे हैं। इस क्रम में वे अब ब्राजील में आयोजित हो रहे BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। यह सम्मेलन भारत के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस बार परिस्थितियाँ भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत छवि पेश करने का अवसर दे रही हैं।

ब्रिक्स समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका मूल सदस्य हैं। हाल के वर्षों में इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को शामिल कर इसका विस्तार किया गया है। सामान्यतः भारत, रूस और चीन इस संगठन के सबसे प्रभावशाली देश माने जाते हैं, लेकिन इस वर्ष रूस और चीन के शीर्ष नेता इस सम्मेलन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हो रहे हैं, जिससे भारत के लिए कूटनीतिक बढ़त हासिल करने की संभावना बढ़ गई है।

पीएम मोदी को मिल सकता है केंद्रीय मंच

इस बार के BRICS सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता माने जा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के चलते सम्मेलन में वर्चुअली शामिल होंगे। ब्राजील ICC का सदस्य है, इसलिए पुतिन का वहां व्यक्तिगत रूप से पहुंचना मुश्किल था। दूसरी ओर, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग घरेलू आर्थिक मसलों में व्यस्त हैं, इसलिए उनकी जगह प्रधानमंत्री ली कियांग प्रतिनिधित्व करेंगे। ऐसे में मोदी को सबसे बड़ा वैश्विक चेहरा माना जा रहा है, जो उन्हें सम्मेलन में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का अवसर दे सकता है।

भारत के लिए कूटनीतिक लाभ की संभावना

प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के साथ-साथ ब्राजील के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं भी करेंगे। भारत और ब्राजील के रिश्ते 77 वर्षों से मजबूत हैं। भारत ने हाल ही में G20 की मेजबानी की और अब बारी ब्राजील की है। वहीं, अगला BRICS सम्मेलन भारत में आयोजित होना है। ऐसे में वर्तमान सम्मेलन भारत के लिए कूटनीतिक रूप से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।

सम्मेलन में व्यापार, निवेश, रक्षा सहयोग और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मजबूत करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है। इन सभी मंचों पर भारत को अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रखने का मौका मिलेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति और मजबूत हो सकती है। PM मोदी की मौजूदगी भारत के लिए इस मौके को रणनीतिक लाभ में बदलने का माध्यम बन सकती है।