जानिए India में कहां से आता है सबसे ज्यादा Remittance और इसके क्या हैं मायने, विदेश में रहने वाले भारतीयों ने 2022 में भेजे 8 लाख करोड़ रुपए

2016-17 और 2020-21 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), यूनाइटेड किंगडम (UK) और सिंगापुर से भारत में Remittance भेजने का हिस्सा 26 फिसदी से बढ़कर 36 फिसदी से अधिक हो गया था.

0
166
जानिए India में कहां से आता है सबसे ज्यादा Remittance और इसके क्या हैं मायने, विदेश में रहने वाले भारतीयों ने 2022 में भेजे 8 लाख करोड़ रुपए - APN News
Remittance India

विश्व बैंक द्वारा बुधवार को जारी की गई World Bank Migration and Development Brief के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत (India) के लिए 2022 एक यादगार साल रहने वाला है. वर्ष 2022 भारत के बाहर काम करने वाले भारतीय 100 बिलियन डॉलर यानी 8.20 लाख करोड़ रुपए (Remittance) अपने देश भेजने के आंकड़ें को पार कर लेंगे.

भारत मे 2021 में प्रेषण प्रवाह (Remittance Flow) 89.4 बिलियन डॉलर रहा था, जिससे यह पिछले साल दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेषण प्राप्तकर्ता बन गया था. इतिहास में यह पहली बार होगा जब कोई देश इस मील के पत्थर के आंकड़े तक पहुंचेगा.

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रेषण (Remittance) इस वर्ष अनुमानित 5 फिसदी बढ़कर 626 अरब डॉलर होने की उम्मीद है.

विश्व बैंक ने कहा, “भारत में प्रेषण प्रवाह संयुक्त राज्य अमेरिका में और अन्य उच्च आय वाले देशों में वेतन वृद्धि और एक मजबूत श्रम बाजार से बढ़ा है.” हालांकि, रिकॉर्ड आंकड़े तक पहुंचने के बावजूद, 2022 में भारत के प्रेषण प्रवाह के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3 फीसदी तक ही पहुंचने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें – एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया Dharavi का Adani ग्रुप करेगा कायाकल्प, जानिए धारावी और इससे जुड़े 20,000 करोड़ के जीर्णोद्धार प्रोजेक्ट के बारे में

क्या होता है प्रेषण, या धन हस्तांतरण (Remittance or Money Transfer)?

विदेश में काम कर रहे नागरिकों द्वारा अपने देश में परिवार के लिए धन भेजने को प्रेषण, या धन हस्तांतरण (Remittance or Money Transfer) कहा जाता है. प्रेषण, गरीब देशों में परिवारों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है.

भारत के बारे में क्या बताती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट मे कहा गया है कि, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में बड़े पैमाने पर कम-कुशल, अनौपचारिक रूप से रोजगार से भारतीय प्रवासियों के प्रमुख स्थानों में एक साबित हुए. इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) जैसे उच्च-आय वाले देशों में उच्च-कुशल नौकरियों का एक प्रमुख हिस्सा भी भारतीयों के पास है. वहीं, यूनाइटेड किंगडम (UK) और पूर्वी एशिया देशों (सिंगापुर, जापान) के अलावा भारतीय ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड से भी अच्छा खासा पैसा भारत भेज रहे हैं.

2016-17 और 2020-21 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर से भारत में Remittance भेजने का हिस्सा 26 फिसदी से बढ़कर 36 फिसदी से अधिक हो गया, जबकि 5 जीसीसी देशों (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, और कतर (Saudi Arabia, United Arab Emirates, Kuwait, Oman and Qatar) से भेजे जाने वाला धन 54 फीसदी से गिरकर 28 फिसदी तक पहुंच गया (वर्ष 2020-21 के लिए प्रेषण पर सर्वेक्षण का पांचवां दौर, भारतीय रिजर्व बैंक).

India Remittance

2020-21 में कुल Remittance के 23 फिसदी हिस्से के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका ने शीर्ष स्रोत देश के रूप में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को पीछे छोड़ दिया था. भारत के लगभग 20 फिसदी प्रवासी संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में बसते हैं. अमेरिकी जनगणना के अनुसार, 2019 में usa में लगभग 5 मिलियन (50 लाख) भारतीयों में से लगभग 57 फीसदी देश में 10 से अधिक वर्षों से रह रहे थे. इस समय के दौरान, कई ने स्नातक डिग्री हासिल की जिससे उनके ज्यादा अच्छी नौकरी पाने के रास्ते खुले.

संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासी अत्यधिक कुशल हैं. 2019 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के 43 फिसदी भारतीय मूल के निवासियों के पास स्नातक की डिग्री थी, जबकि अमेरिका में जन्मे निवासियों के केवल 13 फिसदी के पास थी. 25 वर्ष और उससे अधिक आयु के भारतीय मूल के निवासियों में से केवल 15 फिसदी के पास उच्च विद्यालय की डिग्री से अधिक नहीं थी, जबकि उस आयु वर्ग में अमेरिका में जन्मे 39 फिसदी निवासियों के पास डिग्री नहीं थी.

इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी भारतीयों में से 82 फिसदी (सभी एशियाई लोगों के 72 फिसदी की तुलना में) और 77 फिसदी विदेशी मूल के भारतीय अंग्रेजी में कुशल थे. 2019 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीयों के लिए औसत घरेलू आय सभी अमेरिकियों के लिए लगभग 70,000 डॉलर (56 लाख रुपए) की तुलना में लगभग $120,000 (96 लाख रुपए) थी.

कोरोना महामारी के दौरान, उच्च आय वाले देशों में भारतीय प्रवासियों ने घर से काम किया और बड़े राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेजों से भी उनको लाभ मिला. महामारी के बाद, वेतन में हुई वृद्धि और रिकॉर्ड-उच्च रोजगार की स्थिति ने भी प्रेषण वृद्धि का समर्थन किया.

Dollar Rupee
Remittance to India

वहीं, जीसीसी में आर्थिक स्थिति (जहां से भारत के प्रेषण का 30 फिसदी हिस्सा आता है) भी भारत के पक्ष में रही. जीसीसी के अधिकांश भारतीय प्रवासी ब्लू-कॉलर वर्कर (फैक्ट्रियों और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर) हैं जो महामारी के दौरान घर लौट आए थे के बाद टीकाकरण और यात्रा की बहाली ने 2021 की तुलना में 2022 में अधिक प्रवासियों को काम फिर से शुरू करने में मदद की. जीसीसी की मूल्य समर्थन नीतियों ने 2022 में मुद्रास्फीति को कम रखा, और तेल की उच्च कीमतों ने काम की मांग में वृद्धि को बढ़ाया.

इन सब के अलावा, भारतीय प्रवासियों ने अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये के गिरने (जनवरी और सितंबर 2022 के बीच 10 फिसदी) का भी लोगों ने लाभ उठाया जिससे प्रेषण प्रवाह में वृद्धि हुई.

वहीं, 2022 की दूसरी तिमाही में गल्फ से $200 भेजने की लागत औसतन 4.1 फिसदी थी, जो एक साल पहले के 4.3 फिसदी से कम है, इससे वो और अधिक धन को बाहर भेज पा रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका से भारत मे धन भेजने के लिए सबस ज्यादा 26 फीसदी जार्ज लिया जाता है.

2023 में आएगी धन भेजने में मंदी

2023 के दौरान दक्षिण एशिया में Remittance प्रवाह की वृद्धि बड़े पदों पर बैठे भारतीयो की विदेश में घटती सैलरी के कारण 0.7 फिसदी तक कम होने की उम्मीद है. आर्थिक मंदी की आशंका के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति, उच्च आय वाले देशों में बड़े पदों पर बैठे दक्षिण एशियाई प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले पैसे की मात्रा को कम करेगी. इससे भारत में 4 फीसदी तक की कमी आएगी. इसके अलावा जीसीसी में आर्थिक विकास में गिरावट के साथ तेल की कीमतों के 98 डॉलर से 85 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने के कारण भी मध्य-पूर्व के देशों से भारत समेत दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भेजे जाने वाले धन में गिरावट आएगी.

क्या है अन्य देशों की स्थिति?

2022 में दक्षिण एशिया के लिए Remittance अनुमानित 3.5 फिसदी फीसदी बढ़कर 163 बिलियन डॉलर हो गया है, लेकिन भारत के अनुमानित 12 फिसदी की बढ़ोतरी और नेपाल की 4 फिसदी वृद्धि बताती है कि देशों में बड़ी असमानता है. वहीं, दक्षिण एशिया के अन्य देशों के लिए कुल मिलाकर 10 फिसदी की गिरावट देखी गई है.

2022 में प्रेषण के लिए शीर्ष पांच प्राप्तकर्ता देशों में भारत $100 बिलियन का बेंचमार्क स्थापित कर रहा है, इसके बाद मेक्सिको $60 बिलियन, चीन (2021 के दौरान दूसरे स्थान पर रहा था) तीसरे और फिलीपींस के चौथे स्थान पर रहने की उम्मीद है. वहीं, टोंगा की जीडीपी का 50 फिसदी हिस्सा बाहरी देशों में काम करने वाले उसके नागरिकों द्वारा भेजा जाता है, इसके अलावा समोआ की GDP का 34 फिसदी भी बाहरी देशों में काम करने वाले उसके नागरिकों द्वारा भेजा जाता है.

भारत के लिए कितने हैं मायने?

भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रेषण प्राप्तकर्त्ता है. प्रेषण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) को बढ़ाता है और चालू खाते के घाटे (Current Account Deficit- CAD) को पूरा करने में मदद करता है.

इसके अलावा प्रेषण उपभोक्ता खर्च को बढ़ाते हैं या बनाए रखते हैं. कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक कठिनाई में प्रेषण ने खासी मदद की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रेषण अब आधिकारिक विकास सहायता (Developmental Assistance) से तीन गुना अधिक है और चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) की तुलना में 50 फिसदी से अधिक है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here