श्रीराम और सीता के रिश्ते से सीखें ये पांच बातें, आपकी भी जोड़ी बनेगी बेस्ट..

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प्रभु राम और माता सीता ने अपने जीवन में भले ही कई मुश्किलों का सामना किया हो लेकिन उसका असर उन दोनों के प्रेम और विश्वास पर कभी नहीं पड़ा। श्रीराम और माता सीता का प्रेम उन का अटूट रिश्ता, उनके रिश्ते की पवित्रता हर पति-पत्नी के लिए प्रेरणादायक है। माता सीता और भगवान राम ने हर परिस्थिति में एक दूसरे का साथ दिया है। जब राम जी वनवास गए तो माता सीता ने उनके साथ जाने का समर्थन किया। प्रत्येक पति-पत्नी को राम और सीता के रिश्ते से इस सीख को सीखना चाहिए।

भगवान राम को मर्यादा पुरषोत्तम भी कहा जाता है। वहीं बात जब भी आदर्श पति-पत्नी के उदाहरण की आती है तो लोग आज भी श्रीराम और माता सीता का नाम ही लेते हैं। आज जानते हैं भगवान श्री राम और माता सीता के रिश्ते से जुड़ी ऐसी सीख जो हर पति-पत्नी को खुशहाल जीवन जीने के लिए अपने जीवन में उतारनी चाहिए..

ना रखें द्वेष

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राम और सीता

माता सीता जब लव और कुश के साथ भगवान श्री राम से अलग होकर रहने लगीं तो उन्होंने कभी भी भगवान राम के लिए अपने मन में कोई बुरा विचार तक नहीं आने दिया उन्होंने श्रीराम की हमेशा प्रशंसा की।

एक-दूसरे का साथ दें

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राम और सीता

मां सीता एक राजकुमारी थीं इसके बावजूद उन्होंने अपने पति श्रीराम के वनवास जाने का फैसले किया था । वह 14 साल तक पति श्री राम के साथ जंगलों में रहने को तैयार हो गईं थी। विकट परिस्थिती में भी उन्होंने एक-दूसरे का साथ दिया।

गुण देखें

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राम और सीता

माता सीता के स्वयंवर में बड़े-बड़े राजा, महाराजा शामिल हुए लेकिन सीता माता का विवाह श्री राम से हुआ। भगवान राम अपने गुरु के साथ वहां पहुंचे थे। श्री राम उस समय तक अयोध्या के राजा भी नहीं बने थे।

पतिव्रता बनें

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राम और सीता

रावण द्वारा हरण के बाद भी माता सीता ने अपनी पवित्रता बनाए रखी। उन्होंने अपने पतिव्रता धर्म का अच्छे से पालन किया। एक दूसरे से दूर रहने के बावजूद राम-सीता के बीच एक दूसरे के लिए प्रेम और वैवाहिक धर्म जस का तस बना रहा।

इज्जत का ध्यान रखें

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राम और सीता

हर पति और पत्नी को सुरक्षा और इज्जत का ध्यान रखना चाहिए। जब माता सीता के चरित्र और पवित्रता पर सवाल उठे तब भगवान राम उन पर विश्वास करते थे। और तब भी सीता जी ने अपने पति के मान-सम्मान के लिए अग्नि परीक्षा दी।

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