क्यों अडानी को मानहानि के लिए चेलैंज कर रहा है हिंडनबर्ग? इंडिया लीगल के प्रधान संपादक इंदरजीत बधवर ने बताई वजह

हिंडनबर्ग अडानी ग्रुप को भी अमेरिका में आकर केस करने की चुनौती दे रहा है क्योंकि वो जानता है कि अमेरिका के कानून में ऐसे प्रावधान हैं जिससे वो बड़ी आसानी से किसी को बदनाम करने भी बच सकता है।

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इंडिया लीगल के प्रधान संपादक इंदरजीत बधवर
इंडिया लीगल के प्रधान संपादक इंदरजीत बधवर

Adani group बीते 24 जनवरी से संकट में फंस गया है। अमेरिका स्थित एक शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि इस समूह ने अधिक मूल्य वाले शेयरों को गिरवी रखकर पर्याप्त लोन लिया है। रिपोर्ट जारी होने के बाद से शेयर बाजारों में अडानी ग्रूप की कंपनियों को लगभग 9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। विपक्षी दल आरोप लगाते रहे हैं कि अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले ग्रुप में जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक की होल्डिंग के कारण निवेशकों को पैसा खोना पड़ रहा है। वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च से कानूनी रूप से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है और इसके लिए ग्रुप ने अमेरिकी कानूनी फर्म वाचटेल, रोसेन और काट्ज (Wachtell Lipton, Rosen and Katz) को काम पर रखा है। अडानी ग्रुप के संकट, मानहानि और खोजी पत्रकारिता पर इंडिया लीगल के प्रधान संपादक इंदरजीत बधवर ने विस्तार से बातचीत की है।

उन्होंने खोजी पत्रकारिता के बारे में बात करते हुए कहा कि एक खोजी पत्रकार खोज कर एक खबर को दिखाता है। इनके पास कोई सोर्स नहीं होते, ये मेहनत करके पब्लिक इंट्रेस्ट से जुड़ी रिपोर्ट साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि यही खोजी पत्रकारिता का मुख्य कार्य है। अमेरिका में करीब बीस साल तक विभिन्न अखबारों में लिखने वाले इंदरजीत बधवर ने कहा कि खोजी पत्रकारिता करना जोखिम वाला काम है, लेकिन अंत में आप सही साबित होते हैं।

यहां देखें पूरा वीडियो:

अमेरिका में क्या है मानहानि कानून?

इंदरजीत बधवर ने कहा कि आज कल खोजी पत्रकारिता करने वालों को ट्रोल किया जाता है। गाली दी जाती है। उनके खिलाफ मुकदमा किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब आप खोज कर न्यूज निकालते हैं तो इसमें किसी न किसी पार्टी को तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में मानहानि का मतलब मौखिक होता है। अगर आप कोई रिपोर्ट किसी के खिलाफ छाप रहे हैं तो पार्टी आपके खिलाफ याचिका दायर कर सकती है। बधवर ने कहा कि जब किसी इंसान के खिलाफ कुछ ऐसा बोला, लिखा या आरोप लगाया जाता है जिसका इरादा नुकसान पहुंचाना हो तो ऐसे मामले मानहानि के दायरे में आते हैं। अमेरिका में पब्लिक फीगर के खिलाफ मानहानि के मुकदमे का अलग प्रोसेस है। यह कानूनी प्रकिया में नहीं आते हैं। लेकिन, इसमें माफी की मांग की जा सकती है। फाइन भी हो सकता है।

इंडिया लीगल के प्रधान संपादक ने कहा कि जब वो अमेरिका में किसी अखबार के लिए काम कर रहे थे तो उनके खिलाफ करीब 4 मानहानि, केस किया गया। एक केस में माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा कि वहां के कानून बहुत खास है। वहां रिपोर्ट करने वाले को भी प्रोटेक्ट किया जाता है। अमेरिका के कानून के मुताबिक, आप फैक्ट के आधार पर खोजी पत्रकारिता कर सकते हैं। वहां आपको सजा नहीं मिलेगी।

तो इसीलिए दी चुनौती

यही वजह है कि हिंडनबर्ग अडानी ग्रुप को भी अमेरिका में आकर केस करने की चुनौती दे रहा है क्योंकि वो जानता है कि अमेरिका के कानून में ऐसे प्रावधान हैं जिससे वो बड़ी आसानी से किसी को बदनाम करने भी बच सकता है। हिंडनबर्ग के पास अपने ही समर्थन में आए अमेरिकी कोर्ट के दो ऐसे जजमेंट हैं जो काफी लेटेस्ट हैं और जिसके दम पर हिंडनबर्ग के खिलाफ कोर्ट में केस टिकना मुश्किल है।

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