Supreme Court: चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ये सुनवाई मंगलवार को की। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि देश में कई मुख्य चुनाव आयुक्त हुए हैं, लेकिन टी एन शेषन कभी-कभार ही होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के नाजुक कंधों पर भारी शक्तियां निहित कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि दिवंगत टी एन शेषन जैसे मजबूत चरित्र का व्यक्ति देश का मुख्य चुनाव आयुक्त बने।
Supreme Court: कौन हैं टी एन शेषन?
दरअसल, टी एन शेषन तमिलनाडु कैडर से 1955 बैच के आईएएस ऑफिसर थे। टी एन शेषन ने भारत के 18वें कैबिनेट सचिव के रूप में 27 मार्च 1989 से 23 दिसंबर 1989 तक सेवा दी। वो 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 को भारत के मुख्य चुनाव बने और 11 दिसंबर 1996 तक इस पद पर रहे।
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में टी एन शेषन के संवैधानिक दायित्वों के प्रति उनके नजरिए ने चुनाव आयोग को एक नई पहचान दी। बिहार विधानसभा चुनाव में सीईओ के रूप में उनकी सख्ती एक मिसाल बन गई। उन्होंने चुनाव सुधारों की शुरुआत बिहार से की। उस वक्त बिहार बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम था। शेषन ने चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती करवाई और बूथ कैप्चरिंग और हिंसा को रोकने में कामयाब रहे।
Supreme Court ने टी एन शेषन के कामों को किया याद
मंगलवार को चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर कोर्ट में हुई सुनवाई में कहा गया कि देश में कई सीईसी रह चुके हैं और टी एन शेषन कभी-कभार ही होते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई इसे दबाने की कोशिश करे। संविधान ने तीन लोगों यानी 2 चुनाव आयुक्त और 1 मुख्य चुनाव आयुक्त के नाजुक कंधों पर भारी शक्तियां दी है। हमें सीईसी पद से लिए सर्वोत्तम व्यक्ति खोजना होगा। सवाल यह है कि हम उस बेस्ट व्यक्ति को कैसे चुनें और उसे कैसे नियुक्त किया जाए।
Supreme Court: सर्वोत्तम व्यक्ति की नियुक्ति पर किसी को आपत्ति नहीं
कोर्ट में केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अच्छी प्रक्रिया अपनाते हैं। ताकि सक्षम व्यक्ति के अलावा मजबूत चरित्र का कोई शख्स ही सीईसी के रूप में नियुक्त किया जा सके। वेंकटरमणी ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि 1990 से ही मुख्य चुनाव की नियुक्ति पर आवाज उठ रहे हैं। एक बार तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसे सिस्टम की पैरवी करते हुए चिट्ठी लिखी थी।
बता दें कि 23 अक्टूबर, 2018 को शीर्ष अदालत ने सीईसी और ईसी के चयन के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को आधिकारिक निर्णय के लिए पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया गया था।
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