Tripura में वकीलों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ Supreme Court में याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका 2 वकीलों अंसार इंदौरी व मुकेश और एक पत्रकार श्याम मीरा सिंह (Shyam Meera Singh) की तरफ से दाखिल की गई है। इन लोगों ने अपनी याचिका में उन पर UAPA के तहत दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है।
याचिका में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बाद त्रिपुरा में मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ हिंसा और मस्जिदों पर हमले की घटनाओं की अदालत की निगरानी में जांच करने की मांग की गई है। इसके अलावा UAPA की कुछ धाराओं को असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा: याचिका
याचिका में कहा गया है यदि राज्य को UAPA का उपयोग तथ्य परक खोज करने वालों को अपराधी बनाने की अनुमति दी जाती है तो इससे बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और यदि ऐसा होता है तो केवल सत्ता के अनुकूल तथ्य ही सामने आएंगे।
वहीं पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरएफ नरीमन के UAPA को अंग्रेजों का कानून बताने वाले भाषण का हवाला देते हुए अपने ‘त्रिपुरा जल रहा है’ ट्वीट का भी बचाव किया है।
त्रिपुरा में UAPA के मामले दर्ज किए गए
त्रिपुरा में पुलिस ने वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और कई सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ UAPA , आपराधिक साजिश और जालसाजी के आरोपों के तहत मामले दर्ज किए हैं। साथ ही ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को ऐसे अकाउंट को फ्रीज करने और खाताधारकों की सभी जानकारी देने का भी नोटिस दिया गया है।
दरअसल अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान और बाद में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा का कई समूहों ने त्रिपुरा में रैलियां निकालकर विरोध किया था। इन रैलियों के दौरान घरों, दुकानों और कुछ मस्जिदों में कथित तौर पर तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं। इन घटनाओं पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर मामले दर्ज किए गए हैं।
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