देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का मामला फिर गरमा गया है। अब कांग्रेस के दो सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के राज्यसभा के सभापति के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

इसी साल 12 जनवरी को कॉलेजियम के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ सुप्रीम कोर्ट में जो महाभारत शुरू हुई वह अभी जारी है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की ओर से खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसदों प्रताप सिंह बाजवा और हर्षद राय याग्निक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सोमवार (7 मई) को कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने मामले को जस्टिस चेलमेश्वर के सामने मेंशन किया और याचिका को लिस्ट करने की अपील की क्योंकि प्रधान न्यायाधीश मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। जस्टिस चेलमेश्वर ने मामले को प्रधान न्यायाधीश के सामने मेंशन करने को कहा तो कपिल सिब्बल ने इनकार कर दिया। इसके बाद जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कपिल सिब्बल को मंगलवार (8 मई) को आने को कहा।

याचिका के मुताबिक महाभियोग प्रस्ताव के खारिज होने के बाद ऐसा लगता है कि राजनीतिक कारण संवैधानिक आधार से ज्यादा अहम हो गए हैं। विपक्ष ने प्रधान न्यायाधीश पर आरोप लगाया है कि वह कई संवेदनशील मामलों में एकतरफा फैसले लेते हैं, जिसे किसी भी तरह से संवैधानिक करार नहीं दिया जा सकता। याचिका में यह भी कहा गया है कि उपराष्ट्रपति ने बिना सोच-विचार के जल्दबाजी में फैसला लेते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने के नोटिस को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सीजेआई के खिलाफ आरोप पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं।  जानकारों के मुताबिक उपराष्ट्रपति का फैसला उनके अधिकार क्षेत्र में था।

उधर एक अन्य मामले में जजों के महाभियोग पर दिशानिर्देश बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया को लेकर कोई गाइडलाइन बनाने की जरूरत नहीं है। मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि जज इन्क्वायरी ऐक्ट में पहले ही इसकी प्रक्रिया दी गई है। मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि संसद के अंदर क्या चल रहा है उसकी चिंता नहीं है। लेकिन संसद के बाहर जिस तरीके से जज के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी हो रही है वो गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई जल्दी नहीं है इसलिए मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में करेंगे।

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