CJI Ramana: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है। इसी के साथ जस्टिस यू यू ललित देश के नए सीजेआई होंगे। कार्यकाल के आखिरी 48 घंटों में चीफ जस्टिस रमना ने कई बड़े मामलों में सुनवाई की। इनमें बिलकिस बानो केस, पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक, पेगासस मामला और ईडी के अधिकारों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शामिल हैं।

इसके साथ ही सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच आज भी 5 मामलों में फैसला सुनाएगी। इन मामलों में मुफ्त चुनावी घोषणाएं , 2007 गोरखपुर दंगा, कर्नाटक माइनिंग, राजस्थान माइनिंग लीजिंग और बैंकरप्सी केस शामिल हैं। ये सभी 5 केस काफी अहम है। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल के अंतिम दिन कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करेगा।
CJI Ramana: इन 5 अहम केसों में आज सीजेआई सुनाएंगे अपना फैसला
मुफ्त चुनावी घोषणाएं
सीजेआई एनवी रमना, न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में मुफ्त में सामने देने की घोषणाओं पर मांग लगाने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाएंगे। इलेक्शन फ्रीबीज से मतदाताओं को लुभाने और राज्य का बजट घाटा बढ़ाने पर प्रभाव पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दिल्ली बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। इससे देश में इलेक्शन फ्रीबीज पर बड़ी बहस शुरू कर दी है। इससे पहले बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए CJI ने राजनीतिक दलों से पूछा था कि मुफ्त को कैसे परिभाषित किया जाए।

दिवालिया कानून
एबीजी शिपयार्ड के आधिकारिक परिसमापक द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा।
राजस्थान माइनिंग लीज केस
2016 के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार की अपील पर आज सुप्रीम कोर्ट इसका फैसला करेगा। मामला था कि अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी को भूमि में अपना चूना पत्थर खनन पट्टा जारी रखने की अनुमति दी थी। राज्य सरकार का दावा है कि वहां ‘जोहड़’ या जल निकाय था। पिछले सप्ताह कोर्ट में सुनवाई के दौरान बहस में राजस्थान सरकार ने यह तर्क दिया था कि इस क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है। हालांकि, अगर खनन की अनुमति दी जाती है, तो वर्षा होने की स्थिति में आसपास के क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन गड़बड़ हो जाएगा।

कर्नाटक माइनिंग केस
कर्नाटक में लौह अयस्क खदानों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के कारण 2009 में एक एनजीओ ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसके बाद खनन को बंद कर दिया गया था। हालांकि, 2013 में कड़ी शर्तों के साथ खदानों को दोबारा खोलने की इजाजत दे दी गई थी और लौह अयस्क और छर्रों के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में खनन कंपनियों द्वारा लौह अयस्क के निर्यात पर लगे प्रतिबंध और लौह अयस्क के खनन पर जिला स्तर की सीमा हटाने के लिए कई याचिकाएं दायर की गई थी। खनन मंत्रालय ने कर्नाटक के बाहर लौह अयस्क के निर्यात की अनुमति देने की मांग का समर्थन किया है। सरकार की ओर से तर्क दिया है कि देश को 192 मिलियन टन से अधिक लोहे की आवश्यकता है, लेकिन लगभग 120 मिलियन टन का उत्पादन होता है।
2007 गोरखपुर दंगा मामला

2007 के गोरखपुर दंगों में सीएम योगी और अन्य के खिलाफ भड़काऊ भाषण के आरोप में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने वाली यूपी सरकार की चुनौति देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज एनवी रमना फैसला सुनाएंगे। इस मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौति दी गई है, जिसमें एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कथित भड़काऊ भाषण की जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इस मामले में राज्य सरकार ने पिछले साल सीएम योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।
बता दें कि 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इस दंगे में दो लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए थे। इस दंगे के लिए तत्कालीन सांसद व मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी पर भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था। कहा गया था कि इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही दंगा भड़का था।
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