हाल ही में विश्व बैंक ने ‘स्वच्छ वायु के लिये प्रयास: दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य’ (Striving for Clean Air: Air Pollution and Public Health in South Asia) नामक एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि वर्तमान में लागू की जा रही नीतियों (ज्यादातर साल 2018 से) के साथ बने रहने से परिणाम तो मिलेंगे लेकिन जिस हद तक चाह रहें हैं वैसे नहीं मिलेंगे।
प्रदूषण को लेकर क्या बताती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में छह बड़े एयरशेड मौजूद हैं, जहां एक की वायु गुणवत्ता दूसरे में वायु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। एयरशेड के बारे में बताया गया है कि पश्चिम / मध्य भारत-गंगा का मैदान (IGP) जिसमें पंजाब (पाकिस्तान), पंजाब (भारत), हरियाणा, राजस्थान के हिस्से के अलावा चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के क्षेत्र शामिल हैं।
इसके अलावा मध्य/पूर्वी IGP के हिस्से में बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बांग्लादेश के रखा गया है तो मध्य भारत में ओडिशा / छत्तीसगढ़, पूर्वी गुजरात / पश्चिमी महाराष्ट्र वहीं उत्तरी / मध्य सिंधु नदी का मैदान जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान का हिस्सा आता है इसके अलावा दक्षिणी सिंधु का मैदान और पश्चिम: दक्षिण पाकिस्तान, पश्चिमी अफगानिस्तान पूर्वी ईरान में फैला हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जब हवा की दिशा मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर थी तो भारत के पंजाब में वायु प्रदूषण का 30 फीसदी के करीब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की ओर से आया तो वहीं बांग्लादेश के सबसे बड़े शहरों (राजधानी ढाका, चटगांव और खुलना) में वायु प्रदूषण का औसतन 30 फीसदी से अधिक भारत में पैदा हुआ था। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में सीमाओं के पार दूसरी दिशा में पर्याप्त मात्रा में प्रदूषण का प्रवाह हुआ है।
PM 2.5 को लेकर क्या गया है?
देश में प्रदूषण के बढ़ते ही जो चीज सबसे पहले दिमाग आती है वो हो PM2.5 जिसको लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी 60 फीसदी से अधिक दक्षिण एशियाई देशों में प्रतिवर्ष PM2.5 के औसत 35 µg/m3 के संपर्क में हैं। IGP के कुछ हिस्सों में यह 100 µg/m3 तक बढ़ गया है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए 5 µg/m3 की ऊपरी सीमा से लगभग 20 गुणा है।
कौन है वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार?
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि, बड़े उद्योग, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र और वाहन वायु प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत हैं। रिपोर्ट मे कहा गया है कि दक्षिण एशिया में बड़े प्रदूषण कारकों के अलावा कई ऐसे और कई छोटे-छोटे स्रोत मौजूद हैं जो प्रदूषण में पर्याप्त योगदान देते हैं। इनमें खाना बनाने और गर्म करने के लिये ठोस ईंधन का इस्तेमाल, ईंट भट्टों जैसे छोटे उद्योगों से निकलने वाला धुंआ, नगरपालिका और कृषि अपशिष्ट को जलाने के अलावा दाह संस्कार से होने वाला प्रदूषण भी शामिल हैं।
प्रदूषण से निपटने के लिए क्या है सुझाव?
दक्षिण एशिया में प्रदूषण को कम करने को लेकर कहा गया है कि सरकार द्वारा किये जा रहे विभिन्न उपाय कुछ हद तक कमी तो ला सकते हैं, लेकिन एयरशेड में महत्त्वपूर्ण कमी के लिये एयरशेड में जुड़ी हुई नीतियों की जरूरत है।
क्या कहा गया दिल्ली के बारे में?
भारत की राजधानी दिल्ली को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में साल 2030 तक सभी वायु प्रदूषण प्रबंधन उपायों को अगर पूरी तरह से लागू भी कर दिया जाता है तो भी दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का PM2.5, 35 ग्राम/एम3 से नीचे नहीं आ पाएगा। लेकिन इसके साथ कहा गया है कि यदि दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों ने भी सभी संभव उपायों को लागू कर दिया तो इन प्रदूषण संबंधी आंकड़ों में कमी लाने में मदद मिल सकती है।
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों को हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ-साथ प्रदूषकों को WHO के निर्धारित स्तरों तक कम करने के लिये अपने नीति को भी बदलने की जरूरत है। रिपोर्ट कहती है कि वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिये न केवल इसके विशिष्ट स्रोतों से निपटने की जरूरत है, बल्कि स्थानीय और राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के बीच भी गहरे समन्वय की जरूरत है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एयरशेड के बीच अगर अच्छा समन्वय होता है तो इससे दक्षिण एशिया में PM 2.5 का औसत जोखिम 27.8 करोड़ डॉलर प्रति μg/m3 तक कम हो जाएगा जिससे हर साल 7.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
क्या होते हैं एयरशेड?
विश्व बैंक के अनुसार एयरशेड को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो हवा के सामान्य प्रवाह को साझा करता है, जो समान रूप से प्रदूषित और स्थिर हो सकता है। एयरशेड के भीतर वायु की गुणवत्ता काफी हद तक इसके भीतर प्रदूषण के स्रोतों पर निर्भर करती है। एक एयरशेड का विस्तार स्थानिक वितरण और उत्सर्जन स्रोतों की तीव्रता के साथ-साथ वातावरण में प्रदूषण परिवहन के विशिष्ट पैटर्न द्वारा दृढ़ता से निर्धारित होता है, जो स्थानीय भूगोल, मौसम विज्ञान और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
हर साल प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे भारत ने 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (National Clean Air Campaign- NCAP) को लॉन्च किया था, इस मिशन का लक्ष्य भारत के 131 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण को कम करना है। शुरूआत में इसका लक्ष्य वर्ष 2017 के स्तर पर वर्ष 2024 तक प्रदूषण में 20 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक कम करना था, लेकिन बाद मे इसे वर्ष 2025-26 तक 40 फीसदी तक कम करने के लिये संशोधित कर दिया गया था।
ये भी देखें-