Supreme Court में केंद्र सरकार की तरफ से SG तुषार मेहता ने Delhi में फैले वायु प्रदूषण पर एक विस्तृत हफ़नामा दाखिल किया है। वहीं साथ में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उनकी सरकार की तरफ से भी हलफनामा दाखिल कर गया दिया है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए तुषार मेहता से पूछा कि आसपास के राज्यों में जलने वाली पराली और उसे पैदा होने वाली समस्याओं के विषय में केंद्र सरकार क्या-क्या कदम उठाए हैं।
इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो गया है। स्थिति इतनी भयावह होती जा रही है कि लोग अपने घरों में भी मास्क लगाकर बैठ रहे हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि केंद्र सरकार अपनी ओर से इस जहरीले प्रदूषण को रोकने के लिए अब तक क्या क्या कदम उठा चुकी है?

प्रदूषण पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने जताई चिंता
चीफ जस्टिस एनवी रमना की चिंताओं को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए SG तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर एक चार्ट पेश किया जिसमें प्रदूषण से निपटने को लेकर उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी सिलसिलेवार तरीके से दी।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि हम दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के किसानों को खेतों में पराली न जलाने के लिए जागरूकता फैला रहे हैं और साथ ही इस बात की कड़ी निगरानी भी कर रहे हैं कि किसान पराली जलाने से दूर रहें।
किसानों को पराली जलाने से रोक रहे हैं तो उन्हें इंसेंटिव भी दें
मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमना के साथ सुनवाई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप पराली जलाने की निगरानी और कदम लागू कराने के साथ-साथ किसानों को इंसेंटिव भी दें, जिससे किसान अपने खेतों में पराली न जलाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराने पर नाराजगी जाहिर करते हए कहा कि किसानों को दोष देने की बजाए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें प्रदूषण कम करने को लेकर आपस में मिल कर काम करें।
कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार ने कहा कि वायु प्रदूषण पराली जलाने के कारण खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। मामले में चीफ जस्टिस और जस्टिस चंद्रचूड के साथ सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा दिल्ली और अन्य राज्य सरकार का फैशन बन गया है किसानों को ज़िम्मेदार बताना। हमने पटाखा बैन का आदेश दिया था उसका अब तक क्या हुआ?
जस्टिस चंद्रचूड ने पूछा किसानों की पराली को लेकर किस तरह का प्रबंधन है आपका
वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पूरा मसला कदमों को सही तरीके से लागू कराने का है। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा में किसानों को मशीने मुहैया कराने के लिए कुल कितना खर्च आएगा? थर्मल पावर प्लांट तक पराली कैसे पहुंचे? राज्य सरकारों ने इसके लिए क्या व्यवस्था की है
कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से पूछा कि किसानों की पराली को लेकर किस तरह का प्रबंधन है आपका। हरियाणा में खरीफ के सीजन में आप कितने प्रतिशत पराली का प्रबंधन करते हैं? इसके जवाब में SG तुषार मेहता ने कहा कि हरियाणा, पंजाब और यूपी में कस्टम हायरिंग सेंटर (मशीनों को किराए पर देने के केंद्र) खोले गए हैं, जहां पराली प्रबंधन के लिए किसानों को सस्ते किराए पर मशीने मिलती हैं।
चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि हम मानते हैं कि इस प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान बड़ा है लेकिन दिल्ली में विशेष रूप से पटाखे, धुंआ,उद्योग, धूल आदि का है, इस पर हमें तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा हम और CJI भी किसान हैं, हालात को समझते हैं
जस्टिस सूर्यकांत ने पराली के प्रबंधन के लिए सख्त कदम उठाते हुए कहा कि मैं एक किसान हूं और चीफ जस्टिस भी एक किसान हैं। इसलिए हम इस हकीकत को समझ रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने SG तुषार मेहता से पूछा कि आपने दिल्ली-एनसीआर में आपात कालीन स्थिति के लिए क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप पंजाब और हरियाणा की सरकारों से पराली जलाने से रोकने के लिए आप बात क्यों नहीं करते?
चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से कहा कि यह एक आपातकालीन स्थिति है, आप कुछ दिन के लिए सड़कों पर वाहनों के चलने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा दे रहे हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि इतने प्रदूषण में आपने छोटे बच्चों के स्कूल कैसे खोल दिये। क्या बच्चे वायु प्रदूषण से प्रभावित नहीं होंगे। क्या राज्य सरकार इन स्कूलों को फिर से बंद करने के विषय में कुछ सोचा है?
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा प्रदूषण में भी बच्चों को स्कूल जाने पर मजबूर किया जा रहा है
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि आपके द्वारा बच्चों को स्कूल जाने पर मजबूर किया जा रहा है। प्रदूषण से बच्चे फेफड़े खराब हो सकते हैं। इसके ऊपर दिल्ली सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए क्योंकि यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में न होकर दिल्ली सरकार का ही अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामले में केंद्र सरकार समेत दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी सरकार से आपतकालीन मीटिंग करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सभी राज्यो के साथ मीटिंग करे और सोमवार को हमें बताएं कि बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्या काम किया? सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 15 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली में बीते शुक्रवार को ठण्ड की शुरूआत के साथ दिल्ली-एनसीआर की हवा सबसे जहरीली दर्ज की गई। नोएडा और बुलंदशहर देश के सबसे प्रदूषित शहर रहे। दोनों शहरों को प्रदूषण स्तर 488 पर पहुंच गया है।
दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा 35 फीसदी रहा
वहीं दिल्ली समेत एनसीआर के सभी शहरों की हवा भी खतरनाक स्तर के करीब पहुंची। दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का हिस्सा 35 फीसदी रहा। चारों कारकों के चक्रव्यूह में फंसने से दिल्ली-एनसीआर की हवाएं दिन भर दमघोंटू बनी रहीं। अगले दो दिन तक प्रदूषण छंटने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर के शहरों को प्रदूषण स्तर 450 से ऊपर बने रहने की आशंका है। मौसम विशेषज्ञों का पूर्वानुमान है कि सोमवार को सतह पर चलने वाली हवाओं के कारण प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: Delhi की हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल, गले और आंखों में जलन की शिकायत कर रहे लोग, जानें कब तक रहेंगे ऐसे हालात…