Supreme Court: गैंगस्टर अबू सलेम के मुंबई सीरियल ब्लास्ट और प्रदीप जैन से जबरन वसूली के मामले में दी गई सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।अबू सलेम की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि दोनों मामलो में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण की शर्तों के मुताबिक कैद 25 साल से अधिक नहीं हो सकती। जबकि
केंद्र का कहना है कि सलेम की रिहाई पर विचार का समय 2030 में आएगा, तब सरकार जरूरी फैसला लेगी।
अबू सलेम ने मुंबई सीरियल ब्लास्ट और प्रदीप जैन से जबरन वसूली के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली सजा को चुनौती दी थी। इस मामले पर सुनवाई अबू सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल सरकार को दिए गए अंडरटेकिंग और उसकी कस्टडी के समय को लेकर याचिका दाखिल की गई है।

Supreme Court: सजा के खिलाफ याचिका दाखिल की

गैंगस्टर अबू सलेम ने 25 साल से अधिक की जेल की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के रुख को खारिज दिया। जिसमें कहा गया था कि सरकार के लिए अबू सलेम के मामले पर फैसला लेने का यह उचित समय नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय फैसला कर सकता है। अदालत ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा याचिका समय से पहले है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की ओर से मामले पर फैसला करने के लिए कहने पर आपत्ति जताई।
Supreme Court: 1993 सीरियल ब्लास्ट में 257 लोग मारे गए थे
12 मार्च 1993 को मुंबई में दो घंटे के अंदर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। जिसमें 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। हमले का मास्टरमाइंड अबू सलेम पुर्तगाल भाग गया।
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अबू सलेम को 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कराया गया। 2017 में मामले में गैंगस्टर अबू सलेम को उसकी भूमिका के लिए कोर्ट ने दोषी ठहराया था। उसे गुजरात से मुंबई हथियार ले जाने का दोषी पाया गया। जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
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