Lakhimpur Khiri Voilence मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने गवाहों को सुरक्षा देने के मामले में एक बार फिर यूपी सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करके गवाहों को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिया।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने घटना के समय हजारों लोगों की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनमें से मात्र 23 गवाहों के ही क्यों सारी जानकारी ली गई। सुनवाई में चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील हरीश साल्वे से पूछा कि जब घटना के समय मौके पर 4 से 5 हजार लोग मौके पर थे। तब क्या यह आश्चर्य नहीं है कि सिर्फ 23 लोगों के बयान ही रिकॉर्ड हुए हैं।
कोर्ट का फरमान, गवाहों को मिले पूरी सुरक्षा
कोर्ट ने सख्ती से कहा कि सभी गवाहों के बयान जज के सामने ही रिकॉर्ड किया जाए। जिस पर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मौके पर कई साक्ष्य हैं और मीडिया एविडेंस भी है तो जस्टिस सूर्यकांत ने तुरंत उनसे पूछा कि जब मौके पर करीब पांच हजार आदमी थे और वह लोकल हैं तो फिर ऐसे लोगों की पहचान मुश्किल नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने यूपी पुलिस से कहा कि आपके जो भी गवाह हैं, उसके अलावा भी बाकी गवाहों की तलाश करें। कोर्ट ने कहा कि घटना स्थल पर मौजूद गवाह किसी भी केस में पुख्ता सबूत होते हैं।
सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि हिंसा में मारे गये ड्राइवर श्यामसुंदर और पत्रकार की मौत से जुड़े सबूतों और गवाहों को जुटाना मुश्किल हो रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार दोनों की मौत के मामले में अलग-अलग स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। कोर्ट ने लखीमपुर केस पर सुनवाई के लिए 8 नवंबर का समय दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सभी पहलुओं की जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
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