Supreme Court Collegium ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ समलैंगिक अधिवक्ता सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) को दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की है। अगर केंद्र सरकार कॉलेजियम की इस सिफारिश को मान लेती है और कानून मंत्रालय इसे हरी झंडी दे देता है तो सौरभ कृपाल देश के पहले समलैंगिक जज बन सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में एक बयान जारी करते हुए बताया गया कि 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक हुई। जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की गई है। इससे पहले भी मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई एसए बोबडे ने मोदी सरकार से सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में जज बनाए जाने के संबंध में केंद्र सरकार से राय मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट पहले भी 4 बार सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश कर चुका है
सुप्रीम कोर्ट अब तक 4 बार केंद्र से सौरभ कृपाल को जज बनाने की सिफारिश कर चुका है। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने पहली बार सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश की थी। लेकिन चारों बार केंद्र ने इस पर विचार नहीं किया। अब फिर से कॉलेजियम ने उनके नाम को आगे बढ़ाया तो संभावना जताई जा रही है कि हो सकता है कि केंद्र इस बार उनके नाम को अपनी सहमति दे दे।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्य़ वकील सौरभ कृपाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली है। उसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से विधि की उपाधि ली। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से ही सौरभ कृपाल ने विधि में परास्नातक की उपाधी भी प्राप्त की है।
सौरभ कृपाल पूर्व CJI जस्टिस बीएन कृपाल के बेटे हैं
सौरभ कृपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई जस्टिस बीएन कृपाल के बेटे हैं। जस्टिस बीएन कृपाल मई 2002 से नवंबर 2002 तक सुप्रीम कोर्ट के 31वें सीजेआई रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से प्रैक्टिस करने वाले वकील सौरभ कृपाल यूनाइटेड नेशंस के लिए जेनेवा में भी काम कर चुके हैं। नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ जैसे चर्चित केस लड़ने के कारण उन्हें काफी शोहरत मिली है।
सौरभ कृपाल समलैंगिकों के लिए रद्द हो चुकी आपराधिक धारा 377 को हटाये जाने को लेकर भी केस लड़ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में धारा 377 को रद्द कर दिया है। सौरभ कृपाएलजीबीटी (Lesbian, Gay, Bisexual and Transgender) समाज के प्रति अपनी बेबाक राय रखते रहे हैं।
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