बिजली आपूर्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अडाणी पावर लिमिटेड और गुजरात ऊर्जा विकास निगम (GUVNL) के बीच हुए समझौते पर संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने अडाणी की ओर से बिजली खरीद समझौता रद्द करने को बरकरार रखने के 2019 के अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य के सार्वजनिक उपक्रम की क्यूरेटिव याचिका को बंद कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि दोनों पक्षों की ओर से संयुक्त आवेदन किया। जिसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने विवाद सुलझा लिया है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के द्वारा किए गए समझौते की डीड को रिकॉर्ड में लिया जाता है। समझौते के मद्देनजर अब दोनों पक्ष द्वारा आपस में किए गए समझौते के आधार पर आगे काम करेंगे।

10 हजार करोड़ रुपये के मुआवजे का था दावा
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की बेंच को जीयूवीएनएल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि तीन जनवरी को दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है। अब विवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है। वेणुगोपाल ने (Supreme Court) में न्यायाधीशों की बेंच से कहा कि समझौते के मद्देनजर क्यूरेटिव याचिका बंद की जा सकती है और उसके अनुरूप ही फैसले में बदलाव किया जा सकता है। दोनों पक्षों के बीच 10 हजार करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा था जिसे सुलझा लिया गया है। दूसरी तरफ अडाणी के वकील ने भी कोर्ट को बताया कि हम (GUVNL) को बिजली की आपूर्ति जारी रहेगी।
अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्तियों के आधार समझौता
अटॉर्नी जनरल और अडाणी की ओर से कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्तियों के आधार पर समझौते को स्वीकार किया जा सकता है। दरअसल (GUVNL) ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2019 के तीन जजों के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। जिसमें (GUVNL) का अडाणी पावर के साथ बिजली खरीद समझौते की समाप्ति किए जाने के फैसले को बरकरार रखा था।
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