हिमाचल प्रदेश के चंबा में स्थित सुंदर पर्यटन स्थल डलहौजी के नाम पर एक बार फिर बवाल हो रहा है। नाम बदलने का मुद्दा फिर तेज हो गया है। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मुद्दे को एक बार फिर आग दे दी है। स्वामी ने राज्य के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को लिखे पत्र में कहा है कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अजय जग्गा की पुरानी मांग पर विचार करते हुए इस शहर का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर कर दिया जाए। हालांकि, डलहौजी के निवासी और पर्यटन व्यवसायी डलहौजी का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं हैं। वे इसका विरोध कर चुके हैं।

स्वामी ने लिखा है कि वर्ष 1992 में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने इसे लेकर एक अधिसूचना जारी की थी, लेकिन बाद में कांग्रेस सरकार ने उसे रद्द कर आदेश पलट दिया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पत्र के जरिए राज्यपाल से विनती की है कि, डलहौजी का नाम बदलने के लिए वह मुख्यमंत्री को आदेश जारी करें और साल 1992 की अधिसूचना को लागू करवाएं।

बता दें  कि डलहौजी इलाके को अंग्रेजों के राज के दौरान साल 1854 में कर्नल नेपियर ने पांच पहाड़ियों पर बसाया था। उन्होंने लार्ड डलहौजी के नाम पर इस शहर का नाम रखा था। 1873 में रवींद्रनाथ टैगोर डलहौजी आए थे। साल 1937 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी डलहौजी पहुंचे थे। लेकिन लॉर्ड डलहौजी कभी भी यहां पर नहीं आए हैं।

डलहौजी का नाम सर लार्ड मैकलियोड के कहने पर 1854 में भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड डलहौजी के नाम पर रखा गया। साल 1863 में जीपीओ, जिसे गांधी चौक के नाम से भी जाना जाता है, में पहले चर्च सेंट जोन का निर्माण किया गया। साल 1870 में डलहौजी में बुलज हेड के नाम से पहला होटल बना, जिसे अब होटल माउंट व्यू के नाम से जाना जाता है। 

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