Sameer Wankhede के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े और मंत्री नवाब मलिक के बीच चल रहे मामले की बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस माधव जामदार के चेंबर में आज सुनवाई हुई। नवाब मलिक ने कहा कि वे वानखेड़े की जाति को लेकर नया हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए उन्हें अदालत की अनुमति लेनी होगी। इस मामले में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं और फैसला सुरक्षित रख लिया गया।
ज्ञानदेव वानखेड़े ने अदालत में सर्टिफिकेट जमा किए
ज्ञानदेव वानखेड़े के वकील ने कहा कि 13 नवंबर के बाद नवाब मलिक ने बीएमसी से समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी। जिसके बाद बीएमसी ने 2 दिन में जानकारी दी। इसका मतलब है कि ट्वीट के कुछ दिनों बाद नवाब मलिक ने बीएमसी से जानकारी मांगी थी। वानखेड़े के वकील ने 17 नवंबर को बीएमसी द्वारा जारी स्कूल से संबंधित प्रमाण पत्र और समीर वानखेड़े का जन्म प्रमाण पत्र जमा किया।ॉ
समीर के पिता ने सर्टिफिकेट में करवाया था सुधार
समीर वानखेड़े के मुताबिक उनकी मां मुस्लिम थी इसलिए शुरुआती दिनों में स्कूल में उन्होंने अपने बेटे का धर्म मुस्लिम लिखवाया था, लेकिन प्राइमरी के बाद उनके पिताजी ने तहसील ऑफिस से लेकर BMC तक इसका सुधार करवाया। जिसके डॉक्यूमेंट वानखेड़े ने कोर्ट को दिए हैं। डॉक्यूमेंट में वडाला के उस स्कूल का भी लीविंग सर्टिफिकेट शामिल है जिसमें उन्हें मल्हार जाती यानी SC का बताया गया है और पिता का नाम ज्ञानदेव लिखा गया है। समीर के मुताबिक उस वक्त तो वे खुद नाबालिग थे। ऐसे में डॉक्यूमेंट्स में उनकी कोई भूमिका नहीं हो सकती।
दरअसल हाल ही में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी पाने का आरोप लगाया था। जिसकी आज सुनवाई हुई।