गुरुनानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) के पावन अवसर पर इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार ने किसी कानून को बड़े आंदोलन के बाद वापस लिया है। इस मौके पर पिछले एक साल से दिल्ली की दहलीज पर आंदोलन कर रहे किसानों को खेत में लौटने और परिवार के पास जाने का आग्रह करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तीनों कृषि कानूनों (3 Farm Law) को वापस लेने की घोषण की है। उन्होंने घोषणा करते हुए देश वासियों से क्षमा मांगी है। पीएम मोदी ने कहा कि शायद हमारी ही तपस्या में कोई कमी रह गई थी। इस कानून को समझा नहीं पाए। हमारी सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है।
पीएम मोदी ने उसी कानून को वापस लेने की घोषणा की है जिसे लेकर किसान पिछले एक साल से दिल्ली के सिंघू बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। वही कानू है जिसे लेकर किसानों और सरकार के बीच 12 दौर की सुलह के लिए वार्ता हुई, पर कोई हल नहीं निकला। यह वही कानून है जिसे लेकर सरकार बार बार कहती थी कि हम कृषि कानूनों को किसी भी सूरत में वापस नहीं लेंगे।
तो यहां पर हम समझेंगे कि आखिर क्या है तीनों कानून जिसे लेकर सरकार बार बार कहती थी कि हम किसी भी हालत में वापस नहीं लेंगे और फिर खुद माफी के साथ वापस ले लिया।
क्या है कृषि कानून 2020 ?
- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020
इस के अनुसार किसान अपनी फसले अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं। यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है। यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं। फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं। साथ ही अच्छा दाम मिलेगा।
- मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी। किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे। इससे उम्मीद जताई जारही है कि किसानों की आय बढ़ेगी।
- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है। अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
विरोध के कारण
इस कानून के कारण किसानों में इस बात का डर बैठ गया है कि एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा तो कोई मंडी नहीं आएगा।
साथ ही ये भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
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