भारत के 13वें और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी बहुचर्चित ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ में नेहरू के शासन काल को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं। मुखर्जी के अनुसार पड़ोसी देश नेपाल, भारत का हिस्सा बनना चाहता था। लेकिन उस समय भारत के प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर  दिया। उन्हेंने आगे लिखा है अगर इंदिरा गांधी होती तो इसे स्वीकार कर लेती।

नेपाल के भारत में विलय करने को लेकर नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू के सामने  प्रस्ताव भी रखा था। पर इनके प्रस्ताव को खारिज  कर दिया गया। ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ के चैप्टर 11 ‘माई प्राइम मिनिस्टर्स: डिफरेंट स्टाइल्स, डिफरेंट टेम्परमेंट्स’ शीर्षक में इस बात का जिक्र  है।

The presidential

उन्होंने अपनी किताब में लिखा, ‘नेहरू ने बहुत कूटनीतिक तरीके से नेपाल से निपटा। नेपाल में राणा शासन की जगह राजशाही के बाद हरू ने लोकतंत्र को मजबूत करने अहम भूमिका निभाई। दिलचस्प बात यह है कि नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू को सुझाव दिया था कि नेपाल को भारत का एक प्रांत बनाया जाए। लेकिन नेहरू ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।’ उनका कहना है कि नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसे ऐसा ही रहना चाहिए। वह आगे लिखते हैं कि अगर इंदिरा गांधी उनकी जगह होतीं, तो शायद वह अवसर का फायदा उठातीं, जैसा कि उन्होंने सिक्किम के साथ किया था।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने किताब में उल्लेख किया है कि, प्रत्येक पीएम की अपनी कार्यशैली होती है। लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसे पद संभाले जो नेहरू से बहुत अलग थे। उन्होंने लिखा कि विदेश नीति, सुरक्षा और आंतरिक प्रशासन जैसे मुद्दों पर एक ही पार्टी के होने पर पर भी प्रधानमंत्रियों के बीच अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं।

बता दें कि, रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक मंगलवार को बाजार में आई है। उन्होंने यह पुस्तक पिछले साल अपने निधन से पहले लिखी थी।

प्रणब मुखर्जी द्वारा लिखी गई इस किताब को लेकर उनके बच्चे आपस में उलझ गए हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को पब्लिकेशन हाउस से किताब का प्रकाशन रोकने को कहा। उन्होंने कहा कि वह एक सामग्री को देखना और अप्रूव करना चाहते हैं। इस बीच उनकी बहन और कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता किताब को अप्रूव कर चुके थे। साथ ही उन्होंने अभिजीत को सस्ती लोकप्रियता से बचने की नसीहत दी है।

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