नवंबर में एयर इंडिया (Air India) की न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रही एक फ्लाइट में नशे में धुत एक व्यक्ति द्वारा एक महिला यात्री पर पेशाब करने का मामला सुर्खियों में आने के बाद से एयर इंडिया ने फ्लाइट में महिला यात्री पर पेशाब करने वाले आरोपी यात्री पर 30 दिनों के लिये यात्रा प्रतिबंध (No Fly List) लगा दिया है।
यदि हम इसको आसान शब्दों में कहें, तो उस शख्स को नो फ्लाई लिस्ट में डाल दिया गया है जिसके चलते अब वो शख्स कम से कम 30 दिनों तक कोई हवाई यात्रा नहीं कर पाएगा। इससे पहले 2020 में स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को इंडिगो एयरलाइंस द्वारा तीन महीने के लिए नो-फ्लाई लिस्ट में डाल दिया गया था।
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क्या है No Fly List?
यदि हम भारत में नो-फ्लाई लिस्ट की बात करें तो यह उन यात्रियों के मामले में जारी की जाती है जो हवाई यात्रा के दौरान अपने शारीरिक, मौखिक या फिर किसी भी अन्य आपत्तिजनक व्यवहार के जरिये यात्रा में या फिर यात्रियों के लिए बाधा उत्पन्न करते हैं। इस लिस्ट को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation- DGCA) द्वारा संबंधित एयरलाइंस द्वारा दिये गए विवरण के आधार पर तैयार किया जाता है।
नो-फ्लाई लिस्ट (No-Fly List) के कितने प्रकार?
भारत के नो-फ्लाई लिस्ट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है-
पहली श्रेणी में मौखिक व्यवहार को शामिल किया जाता है। इस श्रेणी के तहत यदि कोई व्यक्ति हवाई यात्रा के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी या फिर गलत शब्दों का प्रयोग करता है तो उसे तीन माह के लिये हवाई यात्रा से बैन किया जा सकता है।
वहीं, दूसरी श्रेणी में शारीरिक व्यवहार (Physical Behavior) को शामिल किया जाता है यानी किसी के साथ मारपीट करना, धक्का-मुक्की करना या फिर किसी को गलत इरादे से छुना आदि। इस कैटेगरी के व्यवहार के लिये यात्री को छह महीने तक हवाई यात्रा से बैन किया जा सकता है।
तीसरी श्रेणी को सबसे कड़ी श्रेणी माना जाता है, इसमें जान से मरने की धमकी देने जैसे कृत्य शामिल है और इस व्यवहार के लिये कम-से-कम दो साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
कब लागू किये गये थे ये नियम?
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2017 में हवाई यात्रा के दौरान अमान्य व्यवहार को रोकने के लिये नो-फ्लाई सूची को लेकर दिशा-निर्देश जारी किये थे। इन दिशा-निर्देशों के तहत, हवाई यात्रा के दौरान होने वाले किसी भी अनियंत्रित व्यवहार की शिकायत पायलट-इन-कमांड द्वारा दर्ज की जाएगी एवं ऐसी शिकायतों की जांच एयरलाइन द्वारा बनाई गई आंतरिक समिति द्वारा की जाएगी।
एयरलाइन द्वारा बनाई गई आंतरिक समिति 30 दिनों के अंदर मामले का निपटारा करने से साथ-साथ प्रतिबंध के समय को भी निर्धारित करेगी। 2017 में जारी किए गए इन नियमों के तहत, जांच अवधि के दौरान भी एयरलाइन को गलत व्यवहार करने वाले यात्री की हवाई यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
कहां की जाती है नो फ्लाई लिस्ट के खिलाफ अपील?
अगर किसी व्यक्ति को नो फ्लाई लिस्ट में डाला जाता है तो वो यात्री प्रतिबंध लगने के 60 दिनों के भीतर नागर विमानन मंत्रालय की ओर से बनाई गई कमेटी के समकक्ष अपनी अपील दाखिल कर सकता है। मंत्रालय की इस कमेटी में हाईकोर्ट के रिटायर जज, यात्रियों की संगठन के प्रतिनिधि के साथ-साथ एयरलाइंस से जुड़े हुए लोग भी शामिल होते हैं। इस कमेटी की फैसला ही अंतिम फैसला होता है, लेकिन इस कमेटी के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है।
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