जानें क्या है भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, जिसे इजराइल पर हमास के हमले की वजह बता रहे बाइडन

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India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC)
India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC)

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है कि हमास ने इजराइल पर इसलिए हमला बोला क्योंकि हाल ही में भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा की गई थी। आइए आपको बताते हैं कि भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा है क्या? इस गलियारे के तहत रेल से सड़क और रेल से बंदरगाह तक एक जाल बिछाया जाएगा। मुख्य रूप से इसमें दो गलियारे होंगे। पूर्वी गलियारा, जो कि भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ेगा। और दूसरा उत्तरी गलियारा , जो कि खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा। इस गलियारे के लिए भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई,यूरोपियन यूनियन, इटली, फ्रांस और जर्मनी आगे आए हैं।

गलियारे का मकसद –

इस गलियारे का उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाला एक व्यापक नेटवर्क बनाना है। इसका उद्देश्य परिवहन दक्षता बढ़ाना, लागत कम करना, आर्थिक गतिविधि बढ़ाना, रोजगार पैदा करना और ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन कम करना है। इस गलियारे की मदद से कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाकर एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का एकीकरण किया जाएगा।

इस गलियारे के फायदे-

  1. गलियारा प्रमुख क्षेत्रों के साथ अपनी व्यापार कनेक्टिविटी बढ़ाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक अवसर देता है।
  2. इससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, खासकर गलियारे से जुड़े क्षेत्रों में, क्योंकि कंपनियों को कच्चे माल और तैयार उत्पादों के परिवहन में आसानी होगी।
  3. जैसे-जैसे बेहतर कनेक्टिविटी के कारण आर्थिक गतिविधियों का विस्तार होगा, सभी क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों में वृद्धि होगी।
  4. गलियारा विशेष रूप से मध्य पूर्व से ऊर्जा और संसाधन आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  5. इससे स्पेशल इकोनॉमिक जोन का निर्माण होगा।

गलियारे की राह में चुनौतियां-

  1. विभिन्न देशों के बीच योजना और समन्वय स्थापित करना बहुत बड़ी चुनौती है।
  2. रेल नेटवर्क और निर्माण कार्य करना।
  3. एक आंकड़े के मुताबिक इस गलियारे को बनाने में 300 से 800 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्चा आ सकता है।
  4. इस गलियारे को यूरेशियाई क्षेत्र में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को टक्कर देने के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा ये गलियारा मिस्र की स्वेज़ नहर को भी एक चुनौती है। वहीं ये गलियारा पाकिस्तान को भी बायपास कर देता है।

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