भारत ने संभाली G-20 की अध्यक्षता, जानिए क्या है जी-20 और India को इससे कितनी हैं उम्मीदें

विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत अपनी अध्यक्षता में 9 और 10 सितंबर 2023 को G-20 के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. वहीं, G-20 की पहली तैयारी बैठक 4-7 दिसंबर को उदयपुर, राजस्थान में होगी, जिसमें सभी देशों के विशेष प्रतिनिधि (Sherpa) हिस्सा लेंगे.

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India G-20 Presidency

भारत ने आज यानी 1 दिसंबर से G-20 (विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि, यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का समूह) की अध्यक्षता (G-20 Presidency) को संभाल लिया है. अब अगले एक साल भारत (India) के पास G-20 की अध्यक्षता करेगा.

केंद्र सरकार ने इस मौके को खास बनाने के लिए विशेष तैयारियां की हैं. अध्यक्षता के पहल दिन के अवसर पर देश भर में 100 से अधिक स्मारकों पर G-20 लोगो को दिखाया जाएगा. इसके लिए विशेष तैयारियां भी गई हैं.

विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए बयान के अनुसार भारत अपनी अध्यक्षता में 9 और 10 सितंबर 2023 को G-20 के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. वहीं, G-20 की पहली तैयारी बैठक 4-7 दिसंबर को उदयपुर, राजस्थान में होगी, जिसमें सभी देशों के विशेष प्रतिनिधि (Sherpa) हिस्सा लेंगे.

G 20 India

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क्या बोले पीएम मोदी?

G-20 की अध्यक्षता संभालने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “G-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए. हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे तथा यहां से और आगे की ओर बढ़ेंगे.

अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूं- क्या G-20 अभी भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव को उत्प्रेरित कर सकते हैं? मेरा विश्वास है कि हम ऐसा कर सकते हैं.”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि “भारत में प्रचलित ऐसी ही एक परंपरा है जो सभी जीवित प्राणियों और यहां तक कि निर्जीव चीजों को भी एक समान ही पांच मूल तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंचतत्व से बना हुआ मानती है. इन तत्वों का सामंजस्य – हमारे भीतर और हमारे बीच भी- हमारे भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए आवश्यक है.

भारत की G-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी. इसलिए हमारी थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है. ये सिर्फ एक नारा नहीं है. ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं.”

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200 से ज्यादा होंगी बैठकें

एक साल की अध्यक्षता के दौरान भारत ने G-20 शिखर सम्मेलन तक देश भर के 55 शहरों में 200 से अधिक बैठकों की योजना बनाई है. इनमें से कुछ बैठकों की मेजबानी करने के लिए देश के उन हिस्सों का चुना गया है जिनके बारे में लोगों को बेहद कम जानकारी है. इतने शहरों को चुनने के पिछे का मकसद पीएम मोदी का वो उद्देश्य है जिसके तहत देश के सभी जिलों और ब्लॉक को G-20 से जोड़ने और जनभागीदारी के जरिए जन-जन तक संदेश पहुंचाना है.

G 20

पीएम मोदी ने किया था लोगो और वेबसाइट को लॉन्च

G-20 की अध्यक्षता का एलान होने के बाद 8 नवंबर 2022 को पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए G-20 के नए लोगो-थीम और वेबसाइट का अनावरण किया था. इस मौके पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि G-20 का ये Logo केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है बल्कि ये एक संदेश है. ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है. ये एक संकल्प है, जो हमारी सोच में शामिल रहा है.

क्या होंगी भारत की प्राथमिकताएं?

समावेशी, न्यायसंगत और सतत् विकास, जीवन (पर्यावरण के लिये जीवन शैली), महिला सशक्तीकरण, स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा से लेकर वाणिज्य तक के क्षेत्रों में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना एवं तकनीक-सक्षम विकास, कौशल-मानचित्रण, संस्कृति और पर्यटन; जलवायु वित्तपोषण; चक्रीय अर्थव्यवस्था (Cyclical Economy); वैश्विक खाद्य सुरक्षा; ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security); ग्रीन हाइड्रोजन; आपदा जोखिम में कमी एवं अनुकूलन; विकासात्मक सहयोग; आर्थिक अपराध के खिलाफ लड़ाई; और बहुपक्षीय सुधार शामिल हैं.

G20 2022
क्या है G-20 समूह?

1999 में G-20 का गठन, दशक के अंत के वित्तीय संकट के चलते किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया (East and South East Asia) को प्रभावित किया था. G-20 का मुख्य लक्ष्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है.

इसके प्रमुख नेता वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हर वर्ष एक बार इकट्ठा होते है. इसके साथ ही, G-20 दुनिया के कुल आर्थिक उत्पादन में 80 फीसदी से अधिक, कुल आबादी का 60 फीसदी और वैश्विक व्यापार के 75 फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है.

1999 में उत्पन्न हुए अंतरराष्ट्रीय ऋण संकट के जवाब में G-7 के बड़े आकार के रूप में G-20 बनाया गया था. शुरूआत में इसका प्रमुख उद्देश्य अपने सदस्यों के वित्त मंत्रियों के वार्षिक शिखर सम्मेलन और 2008 के बाद से प्रमुखों के बीच चर्चा के माध्यम से वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है. G-20 की अध्यक्षता और मेजबानी करने वाले देश प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों के बीच में बदलता रहता है.

वहीं, G-20 के पास अपना कोई स्थायी सचिवालय (Secretariat) नहीं है. G-20 के लिए एजेंडा और कार्य का समन्वय देशों के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, जिन्हें ‘शेरपा’ कहा जाता है, जो केंद्रीय बैंकों के वित्त मंत्रियों और गवर्नरों के साथ मिलकर काम करते हैं. G-20 वैश्विक आर्थिक एजेंडा को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

कौन-कौन हैं सदस्य?

G-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. इसके अलावा स्पेन को स्थायी रूप से अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है.

75 वर्षों की अपनी उपलब्धियों और प्रगति बताएगा भारत

एक साल तक चलने वाले कार्यक्रमों में भारत G-20 में संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, विविधता और 75 वर्षों की अपनी उपलब्धियों और प्रगति को भी दुनिया के सामने पेश करेगा.

भारत द्वारा सबसे बड़ा आयोजन बनाने की मुहिम

विदेश मंत्रालय के अनुसार इस समय कार्यक्रम को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है. भारत जिस बड़े पैमाने पर सम्मेलन के आयोजन की रूपरेखा तैयार कर रहा है उतने बड़े पैमाने पर अब तक G-20 की बैठक नहीं हुई है.

दक्षिण एशियाई देशों के हितों और चिंताओं को दी जाएगी प्रमुखता विदेश मंत्री

भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर पहले ही कह चूके हैं कि भारत G-20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान दक्षिणी एशियाई देशों के मौजूदा हितों और चिंताओं को प्रमुखता के साथ दुनिया के सामने रखेगा. विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित किए गए ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट (Global Technology Summit- 2022) में जयशंकर ने कहा, हमें लगता है कि इन देशों को दरकिनार किया गया है. उन्होंने भू-राजनीतिक और उभरती विश्व व्यवस्था में तकनीक के महत्व को भी रेखांकित किया.

किन देशों को अतिथि के रूप में बुलायेगा भारत?

भारत, G-20 अध्यक्ष के तौर पर बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित करेगा.

G 20 Indonesia

ट्रोइका (Troika)

भारत की अध्यक्षता के दौरान भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील ट्रोइका का गठन करेंगे. यह पहली बार होगा जब ट्रोइका में तीन विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल होंगी, जो उन्हें वैश्विक शक्तियों के मध्य बढ़त प्रदान करेंगी. ट्रोइका में G-20 के वर्तमान, पिछले और आगामी अध्यक्ष पद वाले देश (भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील) शामिल हैं.

G-20 के सदस्य देशों के सामने बड़ी चुनौतियां

फरवरी 2022 से चले आ रहे रूस एवं यूक्रेन युद्ध ने बड़े पैमाने पर भू-राजनीतिक अनिश्चितता (Geopolitics Insecurity) पैदा की है, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति में भी लगातार बढ़त देखने को मिल रही है. इसके अलावा रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है.

कई देशों में ऐतिहासिक मुद्रास्फीति (Inflation) के उच्च स्तर ने इन देशों में सामानों को खरीदने की शक्ति को कम कर दिया है, जिसने आर्थिक विकास को धीमा कर दिया है. लगातार बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में भारी वृद्धि की है जिसके कारण भी आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है.

इस समय अमेरिका (USA) और ब्रिटेन (UK) जैसी कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना करने के लिये तैयार हो रही हैं. इसके अलावा वैश्विक विकास के प्रमुख इंजनों में से एक चीन में तेजी से मंदी देखी जा रही है क्योंकि यह एक रियल एस्टेट संकट से जूझ रहा है.

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