पुलिस ने कैसे सुलझाई पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या की गुत्थी, क्या कुछ हुआ था उस रात?

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saumya vishwanathan
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दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड मामले में चार लोगों -रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को दोषी ठहराया है। इसके अलावा अदालत ने पांचवें आरोपी अजय सेठी को धारा 411 (चोरी की संपत्ति प्राप्त करने) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया है।

आइए आपको बताते हैं कि पुलिस ने इस हत्या की गुत्थी को कैसे सुलझाया? इसके लिए सबसे पहले हमें जिगिशा घोष हत्याकांड के बारे में जानना होगा। दरअसल 18 मार्च 2009 को आईटी प्रोफेशनल जिगिशा घोष से लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई थी। पुलिस के मुताबिक फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके से जिगिशा का शव बरामद होने के दो-तीन दिन बाद उसकी हत्या का मामला सुलझ गया था। पहला सुराग सीसीटीवी फुटेज से मिला था, जहां पुलिस ने पाया कि एक आरोपी के हाथ पर टैटू था। इसके अलावा डेबिट कार्ड से खरीदारी की गई थी। दूसरे हत्यारे के पास वायरलेस सेट था और उसने टोपी पहन रखी थी।

फिर पुलिस ने ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क पर बारीकी से काम किया और जल्द ही पुलिस टीम मसूदपुर स्थित बलजीत मलिक के घर पर पहुंच गई। रवि कपूर और अमित शुक्ला को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। मलिक ने अपने हाथ पर अपना नाम गुदवाया हुआ था जबकि कपूर एक वायरलेस सेट रखता था जो कि उसने एक पुलिस से छीन लिया था। हत्यारों ने खुलासा किया कि उन्होंने वसंत विहार में जिगिशा के घर के पास से उसका अपहरण कर लिया था और बाद में उसकी हत्या कर दी और लूटपाट के बाद उसके शव को फेंक दिया था। उन्होंने उसके डेबिट कार्ड से खरीदारी भी की थी।

इसी खुलासे के दौरान रवि कपूर ने बताया कि उन लोगों ने नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक और लड़की की हत्या की थी। अजय कुमार और अजय सेठी भी हत्या में शामिल थे। इस बात से पुलिस दंग रह गई। दरअसल ये लड़की कोई और नहीं बल्कि पत्रकार सौम्या विश्वनाथन थी। जिसके बाद तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) एचजीएस धालीवाल ने तुरंत अधिकारियों की एक और टीम गठित की और दोनों हत्या मामलों की जांच के लिए तत्कालीन एसीपी भीष्म सिंह को नियुक्त किया।

पुलिस ने बताया कि उनके पास सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा था, इसलिए उनके सामने बड़ी चुनौती फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की भी थी। जिस रात विश्वनाथन की हत्या हुई उस रात के बारे में पुलिस ने कहा कि 30 सितंबर 2008 की रात कपूर मारुति वैगन आर कार चला रहा था और शुक्ला उनके बगल में बैठा था। मलिक और कुमार पीछे की सीट पर बैठे थे। सभी नशे में थे।

इस दौरान एक कार उनकी गाड़ी के पास से गुजरी। यह एक मारुति जेन कार थी, जिससे सौम्या अपने घर वसंत कुंज जा रही थी। सौम्या करोलबाग में वीडियोकॉन टॉवर स्थित टीवी टुडे के ऑफिस से लौट रही थी। यह देखकर कि एक महिला ड्राइवर उनसे आगे निकल रही है और वह अकेली है, हत्यारों ने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी और उसकी कार के करीब आ गए।

पहले, उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की, और जब उसने अपनी कार नहीं रोकी, तो कपूर ने विश्वनाथन की कार पर गोलियां चला दीं। गोली उसकी कनपटी में लगी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। विश्वनाथन की कार डिवाइडर से टकराकर रुक गई। इसके बाद सभी हत्यारे मौके से भाग गए थे लेकिन 20 मिनट बाद सौम्या की हालत देखने के लिए वापस आए। जब उन्होंने पुलिस को देखा तो वे भाग गए।

पुलिस ने बताया कि अपराध का हथियार जो बरामद किया गया था, घटनास्थल का फोरेंसिक स्केच और घटना का क्रम हत्यारों के बयान से मेल खाता है। तीनों के इकबालिया बयानों के बाद, दिल्ली पुलिस ने अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार कर लिया था। विश्वनाथन की हत्या के लिए पांचों पर मामला दर्ज किया और फिर अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया।

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