इजराइल-फिलिस्तीन के बीच जारी है खूनी जंग, जानें मामले पर ‘अहिंसा के सबसे बड़े पैरोकार’ ने क्या कहा था…

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mahatma gandhi views on israel
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इजराइल और फिलिस्तीन के बीच चल रही खूनी जंग के बीच यह जानना जरूरी हो जाता है कि अहिंसा के सबसे बड़े पैरोकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इस विषय पर क्या कहना था। इस बारे में जानकारी हमें उनके एक लेख‘The Jews’से मिलती है।

यहूदियों और इजराइल पर महात्मा गांधी के विचार

महात्मा गांधी यहूदियों के प्रति बड़ी सहानुभूति रखते थे। गांधी जी ने हमेशा यह स्पष्ट किया कि उन्हें यहूदी लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति है। गांधी जी का मानना था कि यहूदियों को ऐतिहासिक रूप से उनके धर्म के कारण अन्यायपूर्ण तरीके से सताया गया था। गांधी जी ने अपने लेख में लिखा था, ”मेरी पूरी सहानुभूति यहूदियों के साथ है। वे ईसाई धर्म के अछूत रहे हैं। उनके साथ हुए अमानवीय व्यवहार को सही ठहराने के लिए धार्मिक मंजूरी का सहारा लिया गया है।”

उन्होंने लिखा था कि यहूदियों पर जर्मन उत्पीड़न का इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है। गांधी जी ने द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से पहले एडॉल्फ हिटलर को शांत करने की ब्रिटेन की नीति पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। महात्मा गांधी ने घोषणा की कि मानवता के लिए और यहूदी लोगों के उत्पीड़न को रोकने के लिए, जर्मनी के साथ युद्ध भी पूरी तरह से उचित होगा। फिर भी, गांधी इजराइल बनाए जाने के ख़िलाफ़ थे।

दरअसल गांधी जी का विचार था कि यहूदियों को अरबों पर थोपना गलत और अमानवीय है। उनका मानना था कि यह मानवता के खिलाफ अपराध होगा। महात्मा गांधी का मानना था कि धर्म के नाम पर अलग देश बनाना सही नहीं है। महात्मा गांधी का मानना था कि फ़िलिस्तीन पहले से ही अरबों का घर था, और यहूदियों की बसावट मौलिक रूप से हिंसक थी।

गांधी जी का मानना था कि एक धार्मिक कार्य तलवार या बम की सहायता से नहीं किया जा सकता है। गांधीजी को लगा कि अरबों की सद्भावना से ही यहूदी फिलिस्तीन में बस सकते हैं। यही नहीं गांधी का मानना था कि इजराइल बनाए जाना दुनिया भर में यहूदियों के संघर्ष के विचार के खिलाफ था।

गांधीजी ने महसूस किया कि इजराइल का विचार दुनिया के दूसरे देशों में रह रहे यहूदियों के अधिकारों की लड़ाई के मूल रूप से खिलाफ था। उन्होंने अपने लेख में लिखा कि यदि यहूदियों के पास फिलिस्तीन के अलावा कोई घर नहीं है, तो क्या वे दुनिया के अन्य हिस्सों को छोड़ने के लिए मजबूर होने के विचार को पसंद करेंगे जहां वे बसे हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इजराइल का विचार जर्मनी द्वारा यहूदियों के निष्कासन को औचित्य प्रदान करता है।

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