Farmers Protest: एक साल के लंबे गतिरोध और खट्टी-मिठी यादों के साथ किसान आंदोलन अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। ताजा जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चे (SKM) के बीच आंदोलन को वापस लेने पर आपसी रजामंदी बन गई है।
संयुक्त किसान मोर्चे (SKM) द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार पूरे एक साल चले इस आंदोलन में लगभग 750 किसानों की जान चली गई। कई बार अराजकता की ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई कि पूरा देश सकते में आ गया। मसलन किसानों ने बीते 26 जनवरी को लालकिला और आसपास के इलाके में उपद्रव मचाया। उससे किसानों के सम्मान को बड़ा ठेस लगा। इसके साथ ही सिंघू बॉर्डर पर एक सिख युवक की बेरहमी से की गई हत्या के दृश्य को देखकर पूरा देश कांप उठा था।

साल भर चले इस किसान आंदोलन के कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मोदी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था। वहीं अब जब किसान आंदोलन इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है तो एक महत्वपूर्ण प्रश्न अक्सर हमारे मन में पैदा होता है कि 11 दिसंबर को जब किसान लंबे संघर्ष के बाद अपने घरों को लौट रहे हैं तो वो कौन सी सौगात लेकर अपनी जमीन पर हल जोतने के लिए जा रहे हैं।

सरकार की ओर से किसानों को घर वापसी के लिए मनाने वाली एक चिट्ठी भेजी गई है। जिसमें कुछ बिंदुओं पर दोनों पक्षों की ओऱ से खुले मन से विचार करने की बात कही गई है। आइये समझते हैं कि पूरे एक साल का क्या निचोड़ रहा इन किसानों के संघर्ष का…
1. MSP पर बनेगी कमेटी
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नरेंद्र मोदी की सरकार ने घोषणा की है कि सरकार के प्रतिनिधि के साथ किसान नेता और कृषि वैज्ञानिकों को मिलाकर एक कमेटी बनेगी जो MSP के मुद्दे पर मंथन करने के लिए साथ काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे की देश के किसानों को उनकी फसलों पर MSP मिले। वहीं मोदी सरकार पहले ही इस हात का आश्वासन दे चुकी है कि जब तक MSP का मुद्दा सुलझा नहीं लिया जाता तब तक पुराने सिस्टम से MSP जारी रहेगी।
2. किसानों से आंदोलन संबंधित सभी केस खत्म होंगे
मोदी सरकार ने किसान संगठनों को आश्वासन दिया है कि किसानों पर आंदोलन से संबंधित केस वापस ले लिए जाएंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारें किसानों पर चल रहे सभी केसों को खत्म करने के लिए तैयार हैं।
3. मुआवजे का मसला
किसान आंदोलन में मारे गये लगभग 750 किसानों के परिजनों को मिलने वाली सहायता के विषय मे अभी तक कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई है लेकिन यूपी और हरियाणा की सरकारों ने अपनी प्रारंभिक रजामंद दे दी है, वहीं पंजाब सरकार भी अपने किसानों के मुआवजे के लिए राजी है।
4. किसानों की बिजली समस्या
किसान मांग कर रहे थे कि खेती के लिए प्रयोग होने वाली बिजली के बिल वसूलने में उन्हें रियायत दी जाए जिस पर सरकार ने कहा है कि वो पूरी तरह से किसानों की समस्या समझ रहे हैं और इसके लिए संबंधित सभी स्टॉक होल्डर्स के साथ किसान संगठन की वार्ता होगी और उसके बाद जो हल निकलेगा उसके आधार पर सरकार संसद में नया बिल लाएगी।
5. पराली जलाने के विषय में
किसानों के लिए पराली का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण था। किसानों को खेतों में पराली जलाने पर आपराधिक धाराओं में केस का सामना करना पड़ता था, लेकिन किसान आंदोलन के बाद सरकार ने धारा 14 और 15 के तहत क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्त कर दिया है।
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