साल 2002 में गुलबर्गा सोसाइटी दंगा मामले में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ ज़किया जाफरी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि SIT ने इस मामले में कोई जांच नहीं की। मामले की जांच प्रक्रिया निष्पक्ष और उचित होनी चाहिए। जिसे SIT ने दरकिनार किया। यहां सवाल यह है कि क्या SIT ने मामले से जुड़े तथ्यों की जांच के लिए कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किया?
जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जाए- मुकुल रोहतगी
वहीं SIT की तरफ से मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलीलों को नकारते हुए कहा कि इस मामले में की गई शिकायत पर जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिसके आधार पर इस जांच को आगे बढ़ाया जाए। जिसके बाद SIT द्वारा मामले में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी। आगे सिब्बल ने कहा कि अगर SIT गुलबर्गा मामले को ही देख रही थी तो SIT सभी मामलों को क्यों देख रही थी? सिब्बल ने कहा कि NHRC कि तरफ से दाखिल याचिका को देखें तो यहां SIT का मकसद सिर्फ गुलबर्गा ही नहीं था।
इस पर जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि 2002 के दौरान 167 शिकायत दर्ज की गई थीं। सिब्बल ने कहा जब इस मामले में ओर कोर्ट में शिकायत दर्ज की गयी इसके बाद कोर्ट ने कहा मामले की जांच करें, आरोपी पर मुकदमा चलाएं या क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करें। इसके बाद मामले में सीलबंद कवर में रिपोर्ट पेश की गई थी।
ऐसी घटनाएं ज्वालामुखी के लावा की तरह होती हैं: कपिल सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि ऐसी घटनाएं ज्वालामुखी के लावा की तरह होती हैं। जहां भी लावा जाता है। वह सबकुछ जल जाता है। ऐसी घटनाएं भविष्य के लिए उन्माद की जमीन तैयार करती हैं। सिब्बल ने कहा कि जब घटना में विस्फोटक को लाने और इस्तेमाल करने वालो के एडमिट करने के बाद भी उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह SIT की जांच की कौन सी प्रक्रिया है?
सिब्बल ने कहा कि इस पूरे मामले में SIT ने CDR की जांच नहीं की, फोन की जांच नहीं की आखिर किस आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि हम इस पर बात करें की SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है जिसमें आगे जांच की जाए। तब मेजिस्ट्रेट ने भी इस मामले में जांच को आगे बढ़ाए जाने के आदेश नहीं दिए।
जस्टिस खानविलकर ने कहा की आपका कहना है कि इस मामले में 161 तहत बयान नहीं कराए गए। केवल प्रारंभिक जांच की गई है। सिब्बल ने कहा कि हमारी विरोध याचिका के बावजूद मजिस्ट्रेट ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि हमने अपनी विरोध याचिका में निजी चैनल के स्टिंग के कुछ हिस्सों का उल्लेख भी किया था। यही हमारा विषय है जिस पर हम बात कर रहे हैं।
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