Morbi Bridge Collapse: मोरबी ब्रिज हादसे में चार्जशीट दाखिल, ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल को बनाया गया आरोपी

Morbi Bridge Collapse: फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट से पता चला है कि जंग लगी केबल, टूटे एंकर पिन और ढीले बोल्ट को मरम्मत के दौरान ठीक नहीं किया गया।

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Morbi Bridge Collapse: गुजरात पुलिस ने शुक्रवार को मोरबी पुल ढहने के मामले में चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट में ओरेवा ग्रुप के मालिक समेत दस लोगों को आरोपी बनाया गया है। अशोक यादव, रेंज आईजी, ने कहा, “पुलिस ने लगभग 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की है। पुलिस जांच के आधार पर ओरेवा के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। मामले में पहले गिरफ्तार किए गए नौ अन्य लोग हैं, जिन्हें चार्जशीट में नामजद किया गया है।

Morbi Bridge Collapse: ओरेवा ग्रुप को मिली थी ब्रिज मरम्मत की जिम्मेदारी

बता दें कि घड़ी और ई-बाइक निर्माता ओरेवा ग्रुप को मार्च 2022 में मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए ब्रिटिश युग के पुल की मरम्मत, संचालन और इसकी टिकट बिक्री से राजस्व एकत्र करने का ठेका दिया था। मरम्मत के बाद पुल को 26 अक्टूबर को जयसुख पटेल ने मोरबी नगरपालिका को सूचित किए बिना जनता के लिए खोल देने का आदेश दिया था। इस त्रासदी के बाद से पटेल सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए हैं और न ही उनकी कंपनी ने इस बारे में कोई बयान जारी किया। 31 अक्टूबर को मोरबी ‘बी’ डिवीजन पुलिस स्टेशन में पुलिस द्वारा दायर एक प्राथमिकी में ओरेवा और उसके प्रमोटरों का नाम नहीं था।

प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो टिकट बुकिंग क्लर्क, तीन सुरक्षा गार्ड, ओरेवा समूह के दो प्रबंधक और पुल की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए रखे गए दो निजी ठेकेदार शामिल हैं। राज्य सरकार ने मोरबी नगरपालिका के तत्कालीन मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को भी निलंबित कर दिया था। इन्होंने ही ओरेवा ग्रुप के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

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SIT रिपोर्ट में खामियों का दिया गया हवाला

बाद में, सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) ने फुटब्रिज की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में ओरेवा समूह की ओर से कई खामियों का हवाला दिया। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट से पता चला है कि जंग लगी केबल, टूटे एंकर पिन और ढीले बोल्ट को मरम्मत के दौरान ठीक नहीं किया गया। राज्य सरकार ने मोरबी नगरपालिका को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है जिसमें पूछा गया है कि पुल त्रासदी के कारण अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने के लिए इसे भंग क्यों नहीं किया जाना चाहिए।

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